GOMUKH

 

गोमुख 

गोमुख उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर का वह प्रसिद्ध स्रोत है, जहाँ से पवित्र नदी गंगा का उद्गम माना जाता है। "गोमुख" नाम दो शब्दों से मिलकर बना है—'गो' अर्थात गाय और 'मुख' अर्थात मुख। हिमनद के अंतिम सिरे का आकार गाय के मुख जैसा प्रतीत होने के कारण इसे गोमुख कहा जाता है। यह स्थान समुद्र तल से लगभग 13,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक आस्था का केंद्र है।

गोमुख तक पहुँचने के लिए गंगोत्री से लगभग 18 किलोमीटर लंबी ट्रेकिंग करनी पड़ती है। यह मार्ग घने देवदार व भोजपत्र के जंगलों, खड़े पहाड़ी रास्तों और गहरी घाटियों से होकर गुजरता है। कठिन मार्ग होने के बावजूद हर वर्ष हजारों यात्री, श्रद्धालु और ट्रैकिंग प्रेमी यहां पहुँचते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है, ताकि पर्यावरणीय संतुलन और स्वच्छता बनाए रखी जा सके।

गंगोत्री ग्लेशियर एशिया के प्रमुख ग्लेशियरों में से एक है और गोमुख इसका सबसे सक्रिय भाग माना जाता है। यहां से बहने वाला जल आगे चलकर भगीरथी नदी का रूप लेता है, जो देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है। इसलिए इस स्थल का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। ऐसा माना जाता है कि गोमुख का जल पवित्र और मन को शुद्ध करने वाला होता है।

गोमुख केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी इसका अपना महत्व है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की चिंता भी लगातार बढ़ रही है। इसके संरक्षण हेतु जागरूकता और उत्तरदायी पर्यटन की आवश्यकता है।

इस प्रकार गोमुख प्रकृति की अनूठी देन है, जो अध्यात्म, रोमांच और पर्यावरण चेतना—तीनों का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

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