SANT BABA KARU STHAN ,MAHPUR,SAHARSA

 


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  1. संत बाबा कारू स्थान (या संत बाबा कारू खिरहरी मंदिर) बिहार के सहरसा जिले के महपुरा‑बरेटा (महिषी प्रखंड) में कोसी नदी के तट पर स्थित एक लोकपवित्र तीर्थस्थल है। यह बाबा कारू खिरहरी नामक संत को समर्पित है, जिन्हें गौ-सेवा, शिव-भक्ति और चमत्कारिक शक्ति के लिए व्यापक श्रद्धा प्राप्त है ।


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    📜 इतिहास व पौराणिक महत्व

    • स्थानीय मान्यतानुसार बाबा कारू कृष्ण वंशीय थे, जिनका जन्म 17वीं शताब्दी में महपुरा गाँव में एक यादव परिवार में हुआ था ।
    • वे गौसेवा और शिव-पारायण के प्रति पूर्ण समर्पित थे, और कहा जाता है कि नाकुचेश्वर महादेव के भरोसे साधना द्वारा उन्हें दिव्य वरदान प्राप्त हुआ ।
    • एक कथा के अनुसार, उन्होंने 25 वर्ष की अल्पायु में शिव की भक्ति से अजर-अमरता और चमत्कारिक क्षमता प्राप्त की ।


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    विशेष आयोजन व चमत्कार

    • नवरात्र की महासप्तमी पर यहाँ लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। भक्त यहाँ सैकड़ों क्विंटल दूध चढ़ाते हैं, कभी-कभी ऐसा होता है कि कोसी नदी दूध-धारा सी सफेद हो जाती है। खीर प्रसाद का विशाल आयोजन भी किया जाता है ।
    • माना जाता है कि यहाँ आई गई मनोकामना, विशेषकर पशु-रोग और बीमारी, बाबा की कृपा से पूरी होती है ।


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    स्थापत्य और सामुदायिक स्थिति

    • मंदिर कोसी नदी के पास स्थित होने से प्राकृतिक सुरक्षा मिली है—बाढ़ के बावजूद झील या असर का असर नहीं हुआ है ।
    • स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु घाट पर बांस की बैरिकेड लगवाई है ।
    • हालांकि, कुछ विवादों के कारण दान पेटी एक समय बंद भी रही, और मंदिर पर ऋण-भार (लगभग ₹41 लाख) उत्पन्न हुआ; यह स्थिति स्थानीय विवादों के परिणामस्वरूप बनी थी ।
    • साथ ही, मंदिर परिसर और आसपास सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन से मांग भी उठी है ।


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    🌄 पहुंच और सुविधाएँ

    मार्ग विवरण

    सड़क सहरसा बस-स्टैंड से महपुरा ग्राम ~20 किमी। कोसी बांध तक बस/टैक्सी उपलब्ध
    रेल निकटतम स्टेशन: सहरसा जंक्शन (SHC)
    वायु नजदीकी हवाई अड्डा: पटना (लगभग 201 किमी)



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    ✨ सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

    • यह स्थान मिथिला व कोसी क्षेत्र में स्थानीय जनजीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आसपास के गाँवों के चरवाहे अपने पहले दूध के घूँट यहाँ चढ़ाते हैं, जिससे उनका विश्वास और श्रद्धा दोनों जुड़े हैं ।
    • दुर्गा पूजा के समय यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें पूजा-पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं ।


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