ANANDI GOPAL JOSHI

 

आनंदी गोपाल जोशी: भारत की पहली महिला डॉक्टर

आनंदी गोपाल जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं, जिन्होंने एक समय में चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की जब महिलाओं की शिक्षा पर कई सामाजिक प्रतिबंध थे। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।

प्रारंभिक जीवन और विवाह

आनंदी का जन्म 31 मार्च 1865 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में हुआ था। उनका असली नाम यमुना था, लेकिन नौ साल की छोटी उम्र में उनकी शादी गोपालराव जोशी से हो गई, जिन्होंने उनका नाम आनंदीबाई रखा। गोपालराव जोशी एक प्रगतिशील विचारों वाले व्यक्ति थे और उन्होंने आनंदी को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

शिक्षा और अमेरिका यात्रा

जब आनंदी मात्र 14 वर्ष की थीं, तब उनके पहले बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन उचित चिकित्सा न मिलने के कारण बच्चा बच नहीं सका। इस घटना ने आनंदी के मन में डॉक्टर बनने की इच्छा जगा दी, ताकि महिलाओं को सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके।

गोपालराव ने आनंदी को अमेरिका भेजने का फैसला किया, जहां उन्होंने पेंसिल्वेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। यह वह समय था जब महिलाओं के लिए विदेश यात्रा करना और उच्च शिक्षा प्राप्त करना असामान्य था।

चिकित्सा की पढ़ाई और संघर्ष

अमेरिका में रहकर आनंदी ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई की। जलवायु परिवर्तन और अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1886 में, उन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई पूरी कर भारत की पहली महिला डॉक्टर बनने का गौरव प्राप्त किया।

भारत वापसी और असमय निधन

भारत लौटने पर आनंदी को अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, कोल्हापुर में महिला डॉक्टर के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, कठिनाइयों और खराब स्वास्थ्य के कारण उनका जीवन अधिक लंबा नहीं रहा। 26 फरवरी 1887 को मात्र 21 वर्ष की आयु में तपेदिक (टीबी) से उनका निधन हो गया।

प्रेरणा और विरासत

आनंदी गोपाल जोशी का जीवन समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि शिक्षा और दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। उनकी स्मृति में कई संस्थानों और सड़कों का नाम रखा गया है, और आज भी वह भारत में महिला शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।

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