कोरोना बनाम कंगना ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। विश्वव्यापी कोरोना काल मे भारतीय मीडिया एक तरह से नेशनल इंटरटेनर के रूप मे नजर आ रहा है।शनैःशनैः भारत मे कोरोना से मरने वालों की तादाद जहां पांच अंक से छः अंक मे होने की ओर बढ रहा है वही भारत का पूरा का पूरा मीडिया तंत्र "कंगनारिया" और "राउतरानौत" में महिना भर से दिन रात एक किये हुए है।आप यह कह सकते है कि मीडिया वही दिखाता है जो जनता देखना चाहती है।लेकिन यह भी तो सही है कि जो चैनल दिखाता है वह विकल्प के अभाव मे देखना जनता की मजबूरी है क्योंकि हमेशा 'आवश्यकता आविष्कार की जननी नही होती है'..क्योंकि अब आविष्कार ही आवश्यकता की जननी बनती ज रही है। भारत के सवा अरब से अधिक लोगों के अंगना और रसोई मे कंगना और रिया का क्या काम।नेशनल मीडिया ने तो कभी इतना फौलो सबसे पोपुलर पी एम मोदी जी का भी नही किया। "भारत की हाय मीडिया, तेरी यही विचित्र कहानी। कभी कंगना कभी रिया, अरनब और अंजना की जुबानी।। देता रह तू चौथे खम्भे की दुहाई। तू कराता रह अपनी जग हंसाई।।"