वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल रात दिन निरंतर 24 घंटे ऑक्सीजन देनेवाला एकमात्र अद्भुत वृक्ष है.इसके निकट रहने से प्राणशक्ति बढ़ती है .इसकी छाया गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती है .इसके अलावा पीपल के पत्ते ,फल आदि में औषधीय गुण होने के कारण यह रोगनाशक भी होता है .विष्णु को जगत का पालक कहा जाता है .पीपल भी प्राणवायु प्रदाता है.अतः स्वतः ही जगत का पालक सिद्ध है .पीपल के पत्तों से संस्प्रीस्त वायु के प्रवाह वा ध्वनि से बीमारी के संक्रामक कीटाणु धीरे धीरे नष्ट हो जाते हैं.इसके पत्ते,छाल ,फल ,सभी रोग नाशक हैं .रक्त विकार ,कफ ,पित्त ,डाह ,वमन,शोथ ,अरुचि ,विष दोष ,खांसी ,विषम ज्वर ,हिचकी ,नासा रोग ,विसर्प ,कृमि ,कुष्ठ ,त्वचा ,वर्ण आदि अनेक रोगों में इसका उपयोग होता है .यही कारण है कि पीपल का वृक्ष हिन्दुओं में अति पवित्र और आदरणीय माना गया है .