GUJARATI ALPHABETS AND SYMBOLS
The Gujarati script, used for writing the Gujarati language, consists of 47 characters, including vowels, consonants, and some additional symbols. Here are the basic Gujarati alphabet characters: **Vowels:** 1. અ (a) 2. આ (aa) 3. ઇ (i) 4. ઈ (ii) 5. ઉ (u) 6. ઊ (uu) 7. ઋ (ṛ) 8. ૠ (ṝ) 9. ૡ (ḷi) 10. એ (e) 11. ઐ (ai) 12. ઓ (o) 13. ઔ (au) **Consonants:** 1. ક (ka) 2. ખ (kha) 3. ગ (ga) 4. ઘ (gha) 5. ઙ (ṅa) 6. ચ (cha) 7. છ (chha) 8. જ (ja) 9. ઝ (jha) 10. ઞ (ña) 11. ટ (ṭa) 12. ઠ (ṭha) 13. ડ (ḍa) 14. ઢ (ḍha) 15. ણ (ṇa) 16. ત (ta) 17. થ (tha) 18. દ (da) 19. ધ (dha) 20. ન (na) 21. પ (pa) 22. ફ (pha) 23. બ (ba) 24. ભ (bha) 25. મ (ma) 26. ય (ya) 27. ર (ra) 28. લ (la) 29. વ (va) 30. શ (śa) 31. ષ (ṣa) 32. સ (sa) 33. હ (ha) 34. ળ (ḷa) 35. ક્ષ (kṣa) 36. જ્ઞ (dnya) **Additional Symbols:** 1. ં (anusvara) 2. ઃ (visarga) 3. ઁ (candra bindu) 4. ૦ (0) 5. ૧ (1) 6. ૨ (2) 7. ૩ (3) 8. ૪ (4) 9. ૫ (5) 10. ૬ (6) 11. ૭ (7) 12. ૮ (8) 13. ૯ (9) These characters can be combined to form syllables and words in the G...

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त्रिपुरा विधान सभा
त्रिपुरा भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है जिसकी अपनी एक विधान सभा है। त्रिपुरा विधान सभा एक एकसदनीय (एक सदन वाली) संस्था है, जिसमें कुल 60 निर्वाचित सदस्य होते हैं। यह राज्य का विधायी निकाय है, जिसका मुख्य कार्य राज्य में कानून बनाना, नीतियाँ तय करना, और सरकार की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखना है।
त्रिपुरा का विधान सभा भवन राज्य की राजधानी अगरतला में स्थित है। यह भवन राज्य की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र है और यहीं पर जनप्रतिनिधि बैठकर राज्य के विकास और जनहित से जुड़े मामलों पर चर्चा करते हैं। त्रिपुरा की पहली विधान सभा 1963 में अस्तित्व में आई, जब राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से पहले केंद्रशासित प्रदेश के रूप में इसका प्रशासन चलता था। 1972 में त्रिपुरा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और उसके बाद से विधान सभा को संवैधानिक मान्यता मिली।
विधान सभा के सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं। ये चुनाव हर पांच वर्ष में एक बार होते हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार इन चुनावों का आयोजन होता है। चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह लोकतांत्रिक होती है, जिसमें राज्य की जनता भाग लेकर अपने प्रतिनिधियों का चयन करती है।
त्रिपुरा विधान सभा का नेतृत्व विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) करते हैं, जो सभा की कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री, जो सत्तारूढ़ दल या गठबंधन का नेता होता है, सरकार का नेतृत्व करता है। मंत्रिमंडल में शामिल अन्य मंत्री अलग-अलग विभागों का संचालन करते हैं। विधान सभा में विपक्ष का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो सरकार की नीतियों की समीक्षा करता है और जनहित के मुद्दों को उठाता है।
त्रिपुरा में कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) और अन्य क्षेत्रीय दल प्रमुख हैं। वर्तमान में भाजपा त्रिपुरा में सत्तारूढ़ दल है।
विधान सभा की कार्यवाही आमतौर पर दो सत्रों में होती है—बजट सत्र और मानसून सत्र। बजट सत्र में राज्य का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया जाता है और मानसून सत्र में विभिन्न विधेयकों पर चर्चा होती है। इन सत्रों के दौरान विधायक राज्य के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, कृषि, उद्योग और अन्य जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
संक्षेप में, त्रिपुरा विधान सभा राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है। यह न केवल कानून बनाने का कार्य करती है, बल्कि राज्य सरकार को उत्तरदायी भी बनाती है। यह जनता की आवाज को प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन तक पहुँचाने का एक प्रभावी माध्यम है।
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