SAPT SAROVAR HARIDWAR

 

सप्त सरोवर, हरिद्वार 

सप्त सरोवर हरिद्वार का एक पवित्र और अत्यंत सुंदर तीर्थस्थल है, जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह स्थान हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है और इसे “सप्त ऋषियों की तपोभूमि” कहा जाता है। "सप्त सरोवर" का शाब्दिक अर्थ है – सात पवित्र जलाशयों का समूह। यह स्थल हर की पैड़ी से लगभग 5-6 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है।

पौराणिक मान्यता

सप्त सरोवर का उल्लेख कई पुराणों और हिन्दू ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस स्थान पर सप्त ऋषियों – कश्यप, वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, जमदग्नि, भरद्वाज और गौतम – ने कठोर तप किया था। उनके तप से प्रभावित होकर गंगा माता ने सात धाराओं में विभाजित होकर यहां प्रवाहित होने का निर्णय लिया ताकि ऋषियों का तप भंग न हो। इसीलिए इसे “सप्तधारा” भी कहा जाता है।

यह भी कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने ऋषियों के दर्शन कर तप किया था। इसलिए यह स्थल आध्यात्मिक साधना और तपस्या का केंद्र भी माना जाता है।

धार्मिक महत्व

सप्त सरोवर को एक अत्यंत शांत और ध्यानयोग्य स्थान माना जाता है। यहाँ श्रद्धालु स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। सप्त सरोवर का जल शुद्ध और पवित्र माना जाता है। हर साल हज़ारों श्रद्धालु यहाँ तीर्थ यात्रा पर आते हैं और गंगा स्नान करते हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य

यह स्थान न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि प्राकृतिक रूप से भी अत्यंत मनोहारी है। गंगा नदी की शांत बहती धाराएं, हरियाली और शांति इसे ध्यान, योग और साधना के लिए उपयुक्त बनाते हैं। यहाँ कई आश्रम और तपोवन भी स्थित हैं, जहाँ साधु-संत रहते हैं और साधना करते हैं।

निष्कर्ष

सप्त सरोवर हरिद्वार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थल है, जो श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और ईश्वर के समीपता का अनुभव कराता है। यह स्थान भारत की धार्मिक परंपरा, संस्कृति और ऋषि परंपरा का जीवंत प्रतीक है। हरिद्वार आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को इस पवित्र स्थान का दर्शन अवश्य करना चाहिए।

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