रेड फ़ोर्ट (लाल क़िला)
यह क़िला दिल्ली मे यमुना नदी के किनारे बना हुआ हाई जिसे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया था ।इसे बनवाने मे दस साल लग गए थे ।क़िला बनने पर चीन से रेशम और तुर्की से मख़मल लाकर इसकी सजावट की गयी ।इसके पाँच मुख्य दरवाज़े है जिसमें से केवल दो ही लोगों के लिए खुले हुए है--एक 'लाहौर गेट' और दूसरा दिल्ली गेट ।लाहौर गेट के अंदर जाते ही चट्टा चौक है जिसे मीना बाज़ार कहते है।चट्टा चौक के बाद नौबतखाना आता हाई जहाँ संगीतकारों की महफ़िल सजती थी ।इस दरवाज़े को पार करने पर एक खुला मैदान है जो ''दीवाने-ए-आम '' कहलता था ।यहाँ बादशाह आम लोगों की शिकायतों को सुनता था ।
दीवाने -ए-ख़ास मे बादशाह के बैठने के लिए एक सिंहासन था जो मोर के आकार का बना था ।उसमें कई बहुमूल्य रत्न जड़े थे जिनमें कोहिनूर हीरा भी एक था ।इसकी छत पर नक़्क़ाशी की हुई है।महल को ठंडा रखने के लिए किनारों पर संगमरमर के सरोवर बने हुए है।चूँकि यह क़िला लाल पत्थर से बना हुआ है।इसीलिए इसे लाल क़िला कहते है।
दीवाने -ए-ख़ास मे बादशाह के बैठने के लिए एक सिंहासन था जो मोर के आकार का बना था ।उसमें कई बहुमूल्य रत्न जड़े थे जिनमें कोहिनूर हीरा भी एक था ।इसकी छत पर नक़्क़ाशी की हुई है।महल को ठंडा रखने के लिए किनारों पर संगमरमर के सरोवर बने हुए है।चूँकि यह क़िला लाल पत्थर से बना हुआ है।इसीलिए इसे लाल क़िला कहते है।
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