आलू का औंधा ------------------ यह विशुद्ध रूप से बिहार के मगध क्षेत्र के गांव का मनोरंजक डिश है।इसे बनाने का तरीका बहुत ही सरल और पारंपरिक है।इसको बनाने के लिए एक मिट्टी का घङा लिया जाता है।उसमे लगभग एक साईज का आलू डाल कर तथा घङा के मुंह पर पुआल डालकर मिट्टी के लेप से घङा के मुंह को बंद कर दिया जाता है।फिर उस घङा को उलटकर उसके चारो तरफ गोईठा/उपला/कंडा तथा अन्य जलावन खर पतवार,पुआल आदि रखकर जलाया जाता है।फिर थोङी देर मे आग स्वतः बुझ जाने पर घङा के मुंह को खोला जाता है।बाहरी आग की गरमी से आलू सीझ(पकना) जाता है।इसे ही औंधा का आलू कहा जाता है। अब आलू को नमक और बुकनी(लाल मिरच को आग मे पकाकर बनाया गया पाउडर) के साथ चटकारे लेकर लोग खाते है।यह औंधा आमतौर पर घर से बाहर खेतों और खलिहानों मे बनाया जाता है।यह खाने मे बहुत स्वादिष्ट होता है तथा ऐसा माना जाता है कि इसका तासिर अंडा से भी ज्यादा गरम होता है।