मनोरंजक स्नैक्स :चना का होरहा
चना का होरहा बिहार के मगध क्षेत्र के लोगों का फाल्गुन और चैत्र महिना का स्वादिष्ट देशी स्नैक्स है।इसको बनाने का तरीका बहुत ही सरल है।इसे बनाने के लिए अधपके चने के फसल (पौधा)को (इसे चना का झंगङी भी कहाजाता है)पुआल आदि के जलते हुए आग के ऊपर डंडा के सहारे लटकाया जाता है।धीरे धीरे आग से झंगङी के सारे डिंडी(चना फसल का वह कवर जिसमे चना के एक या दो या तीन दाने होते है)पक कर गिर जाता है।आग फिर स्वतः बुझ जाता है।तव पके चना के डिंडी को आग के राख से अलग कर लिया जाता है।वही पका हुआ चना होरहा कहलाता है।होरहा को लोग खलिहान मे समूह मे बैठकर नमक मिरच के साथ खाते है।होरहा गेहुं और मटर के अधपके फसल का भी बनाया जाता है।चना का होरहा राजस्थान और एम पी मे भी खाया जाता है।
चना के होरहा के संबंध मे एक अजब गजब मान्यता यह है कि होलिका दहन वाले आग से होरहा बनाकर खाने से दांत मजबूत रहते हैं।गांव मे बहुतायत मे अगजा(होलिका दहन) के आग से लोग होरहा बनाते है।
चना के होरहा के संबंध मे एक अजब गजब मान्यता यह है कि होलिका दहन वाले आग से होरहा बनाकर खाने से दांत मजबूत रहते हैं।गांव मे बहुतायत मे अगजा(होलिका दहन) के आग से लोग होरहा बनाते है।
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