PATNA --35 साल पहले [Part~1]]
#परिवहन#
उन 35 वर्षो में पूरी दुनिया में बहुत बदलाव हुआ तो मेरे शहर पटना ने भी बहुत बदलाव देखे।तव शहर के बीचोंबीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन को पार करने के लिए मात्र तीन पुल धे-- गांधी सेतु,चिडैयाटाडऔर उस समय नया नया बना राजेन्द्र नगर रेलवे पुल।कहीं भी कोई फ्लाइ ओवर नहीं था।
पब्लिक परिवहन के लिए टेम्पू, रिक्शा और पटना सिटी इलाके में टमटम भी हुआ करता था। राजेन्द्र नगर पुल पर इक्का-दुक्का ही प्राइवेट वाहन चलते थे और चिड़ैया टांड़ पुल विभिन्न तरह के गाडियों से खचाखच भरा रहता था तथा हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती थी। कंकड़ बाग के तरफ से पटना जं रेलवे स्टेशन जाना बहुत मुश्किल हो जाता था।
आज जहां भव्य राजेन्द्र नगर टर्मिनल स्टेशन बना है वहां रेलवे का मालगोदाम हुआ करता था जो शिफ्ट होकर फतुहा चला गया है।उस समय पटना की सबसे गौरवशाली ट्रेन मगध एक्सप्रेस हुआ करती थी जो पटना से नयी दिल्ली जाती थी।
सिटी बस का परिचालन आमतौर पर दानापुर, खगौल और हाजीपुर के लिए होता था। गांधी मैदान से पटना सिटी जाने के लिए एकमात्र सहारा टेम्पू था।तव शहर का मुख्य बस स्टैंड हार्डिंग पार्क में हुआ करता था।
आज पटना में अनगिनत फ्लाइ ओवर बन गए हैं और मेट्रो रेल का निर्णय हो रहा है। बहुत कुछ बदल गया, बदल रहा है और बदले गा। परिवर्तन संसार का नियम है।
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