SECMOL
SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh)
SECMOL अर्थात स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख एक अनोखी शैक्षणिक पहल है, जिसकी स्थापना 1988 में इंजीनियर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने की थी। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य लद्दाख के उन छात्रों को बेहतर शिक्षा और अवसर प्रदान करना है, जो पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में कठिनाई का सामना करते थे।
लद्दाख क्षेत्र में कठोर जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण शिक्षा हमेशा एक चुनौती रही है। पुराने पाठ्यक्रम और बाहरी संस्कृति आधारित पढ़ाई बच्चों के लिए उपयोगी नहीं हो पाती थी। इसी समस्या को समझते हुए SECMOL की शुरुआत की गई। यहां छात्रों को केवल किताबों से ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि जीवन से जुड़े व्यावहारिक अनुभव भी सिखाए जाते हैं।
SECMOL का कैंपस पूरी तरह से सौर ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल तकनीक पर आधारित है। यहां की इमारतें स्थानीय सामग्री से बनी हैं, जो गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती हैं। छात्र यहां खेती, पशुपालन, निर्माण, ऊर्जा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों को व्यावहारिक रूप में सीखते हैं।
SECMOL का सबसे बड़ा लक्ष्य छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना है। यहां शिक्षा के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता, सामुदायिक सहयोग और नवाचार की भावना पर विशेष बल दिया जाता है। छात्र अपनी जरूरतों का अधिकांश काम स्वयं करते हैं, जैसे खाना बनाना, बिजली प्रबंधन और भवन निर्माण।
इस संस्था ने हजारों छात्रों के जीवन में बदलाव लाया है। SECMOL से शिक्षा प्राप्त करने वाले कई युवा लद्दाख के सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में योगदान दे रहे हैं।
संक्षेप में, SECMOL केवल एक विद्यालय नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो शिक्षा को जीवन से जोड़ता है और आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा देता है।
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