EXCLUSIVE ECONOMIC ZONE



विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone - EEZ): समुद्री संसाधनों पर अधिकार

विशेष आर्थिक क्षेत्र या EEZ (Exclusive Economic Zone) समुद्र का वह क्षेत्र होता है, जो किसी देश की भूमि सीमा से 200 नॉटिकल मील (लगभग 370.4 किलोमीटर) तक फैला होता है। यह अवधारणा संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के अंतर्गत आती है।


EEZ में अधिकार

इस क्षेत्र में संबंधित तटीय देश को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे:

  • प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व:
    मछली पकड़ना, तेल और गैस निकालना, समुद्री खनिज खनन करना आदि।

  • वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति देना या रोकना

  • पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण

हालाँकि, इस क्षेत्र में देश को पूर्ण संप्रभुता नहीं होती — वह केवल आर्थिक गतिविधियों और कुछ नियामक क्षेत्रों तक सीमित होती है।


अन्य देशों के अधिकार

EEZ में अन्य देशों को कुछ अधिकार मिलते हैं, जैसे:

  • नौवहन की स्वतंत्रता
  • हवाई मार्ग से उड़ान भरने का अधिकार
  • अंडरसी केबल और पाइपलाइन बिछाने की स्वतंत्रता

बशर्ते कि वे तटीय देश के संसाधनों या पर्यावरण को क्षति न पहुँचाएँ।


विवाद और चुनौतियाँ

आज कई देशों के बीच EEZ को लेकर विवाद हैं, जैसे:

  • दक्षिण चीन सागर में चीन और अन्य देशों के बीच
  • भारत और श्रीलंका/बांग्लादेश के बीच EEZ विवाद (अब सुलझ चुके हैं)

निष्कर्ष

विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) तटीय देशों के लिए आर्थिक समृद्धि और समुद्री संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग का अधिकार क्षेत्र है। इसका संतुलित और नियमबद्ध उपयोग ही समुद्री शांति और विकास का मार्ग है।



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