DIKSHA BHUMI NAGPUR
दीक्षाभूमि, नागपुर
दीक्षाभूमि भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है। यह स्थान डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा 14 अक्टूबर 1956 को अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के कारण प्रसिद्ध है। इसी स्थल पर उन्होंने हिन्दू धर्म की सामाजिक विषमता और भेदभाव को त्यागते हुए बौद्ध धर्म को अपनाया था।
डॉ. अंबेडकर ने इस ऐतिहासिक निर्णय के माध्यम से सामाजिक समानता, बंधुत्व और न्याय की दिशा में एक नया रास्ता दिखाया। उनके साथ उस दिन लगभग पाँच लाख अनुयायियों ने भी बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। यह भारत के सामाजिक इतिहास की एक बड़ी क्रांतिकारी घटना थी। दीक्षाभूमि आज उस परिवर्तन और चेतना का प्रतीक है।
यह स्थल एक विशाल और सुंदर स्तूप के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसे श्रीलंका के स्थापत्य शैली में बनाया गया है। इसे 'दीक्षा स्तूप' कहा जाता है। यहाँ पर डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा भी स्थापित है, जो उनके महान कार्यों और विचारों की याद दिलाती है। दीक्षाभूमि हर वर्ष विजयादशमी (दशहरा) के दिन लाखों श्रद्धालुओं से भर जाती है, जो इस दिन को 'धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस' के रूप में मनाते हैं।
दीक्षाभूमि केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता और मानवता के मूल्यों का प्रतीक है। यह स्थान देश और दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। डॉ. अंबेडकर की सोच और संघर्ष को समझने और आत्मसात करने के लिए दीक्षाभूमि एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो आज भी लोगों को जागरूकता और बदलाव की प्रेरणा देता है।
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