LAO

 

लाओ (Lao) 

लाओ (Lao) शब्द लाओस देश की प्रमुख जातीय समुदाय, भाषा और संस्कृति को दर्शाने वाला शब्द है। लाओ लोग लाओस की कुल जनसंख्या का लगभग 55% से अधिक भाग बनाते हैं और यह देश का सबसे बड़ा जातीय समूह है। इसके अलावा थाईलैंड के उत्तर-पूर्वी भाग, जिसे इसान क्षेत्र कहा जाता है, वहाँ भी बड़ी संख्या में लाओ मूल के लोग बसे हुए हैं।

लाओ भाषा लाओ समुदाय द्वारा बोली जाने वाली भाषा है, जो ताई-कदाई भाषा परिवार की एक शाखा है। यह लाओस की आधिकारिक भाषा भी है। लाओ भाषा की लिपि ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है और यह थाई भाषा से बहुत मिलती-जुलती है। लाओ भाषा का प्रयोग न केवल संचार में, बल्कि साहित्य, धर्म, शिक्षा और प्रशासन में भी होता है।

लाओ संस्कृति बौद्ध धर्म पर गहराई से आधारित है। थेरवाद बौद्ध धर्म लाओ समाज में गहराई से रचा-बसा है। मंदिर (जिसे "वाट" कहा जाता है), भिक्षु, धार्मिक उत्सव, और पारंपरिक रीति-रिवाज लाओ जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। "बुन पी माय" या लाओ नववर्ष सबसे प्रमुख त्योहार है, जो अप्रैल में मनाया जाता है।

लाओ लोग पारंपरिक जीवनशैली को अपनाए रहते हैं। यहाँ के लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं, विशेष रूप से चावल की खेती प्रमुख है। पारंपरिक वस्त्र, जैसे कि महिलाओं की सिन नामक लंबी स्कर्ट और पुरुषों की पारंपरिक पोशाकें, अब भी उत्सवों और धार्मिक अवसरों पर पहनी जाती हैं।

लाओ संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प भी प्रसिद्ध हैं। "खेन" नामक पारंपरिक बाँसुरी और लोकगीत लाओ सांस्कृतिक विरासत का अनमोल भाग हैं।

संक्षेप में, लाओ न केवल एक जातीय समूह है, बल्कि यह लाओस की सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक पहचान का प्रमुख स्तंभ भी है।

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