MAKONG RIVER

 

मेकोंग नदी 

मेकोंग नदी दक्षिण-पूर्व एशिया की एक प्रमुख और विशाल नदी है, जिसे इस क्षेत्र की जीवनरेखा भी कहा जाता है। यह नदी विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है। इसकी लंबाई लगभग 4,350 किलोमीटर है, जिससे यह एशिया की सातवीं और विश्व की बारहवीं सबसे लंबी नदी मानी जाती है।

मेकोंग नदी की उत्पत्ति तिब्बत के पठार से होती है, जहाँ इसे "लांछांग जियांग" के नाम से जाना जाता है। यह नदी चीन, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों से होकर बहती है और वियतनाम के मेकोंग डेल्टा से होकर दक्षिण चीन सागर में गिरती है।

मेकोंग नदी का बहाव क्षेत्र बहुत विशाल है और इसमें करोड़ों लोग निर्भर हैं। यह नदी इन देशों के लिए जल, सिंचाई, कृषि, मछली पकड़ने, परिवहन और ऊर्जा उत्पादन का महत्वपूर्ण स्रोत है। खासकर लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों की अर्थव्यवस्था इस नदी पर काफी हद तक निर्भर करती है।

लाओस में यह नदी राजधानी वियनतियान के पास बहती है और थाईलैंड के साथ सीमा बनाती है। यहाँ यह नदी पर्यटन और व्यापार के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। लाओस में कई बाँध परियोजनाएँ भी इस नदी पर बनी हैं, जिनसे जलविद्युत (हाइड्रोपावर) उत्पन्न की जाती है।

मेकोंग नदी जैव विविधता के लिहाज से भी अत्यंत समृद्ध है। इसमें 1,000 से अधिक मछलियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें विशाल मेकोंग कैटफ़िश जैसे विलुप्तप्राय प्रजातियाँ भी शामिल हैं। इसके आसपास के वर्षावन, दलदली क्षेत्र और जलमार्ग अनेक वन्य जीवों और पक्षियों का निवास स्थान हैं।

हालाँकि, हाल के वर्षों में इस नदी पर बढ़ते बांध निर्माण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण इसका पारिस्थितिकी तंत्र संकट में पड़ गया है। इससे मत्स्य पालन और ग्रामीण जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

कुल मिलाकर, मेकोंग नदी केवल एक भौगोलिक विशेषता नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया की संस्कृति, जीविका और जैव विविधता का प्रमुख आधार है। यह नदी सदियों से इस क्षेत्र की सभ्यता का पोषण करती आ रही है।

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