GANGA DUSSEHRA
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो माँ गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है, विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की दशमी को। यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है और ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है, इसलिए इसे 'दशहरा' कहा जाता है — ‘दश’ यानी दस और ‘हरा’ यानी नाश करना।
गंगा नदी को हिन्दू धर्म में देवी का स्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरीं और भगवान शिव ने उनकी धारा को अपनी जटाओं में समेटकर धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा ताकि पृथ्वी पर प्रलय न आ जाए। गंगा का यह अवतरण मोक्षदायी माना गया है।
इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा नदी के पवित्र घाटों पर एकत्र होते हैं और स्नान करते हैं। वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे शहरों में विशेष आयोजन होते हैं। गंगा पूजन, दीपदान, आरती और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। लोग मानते हैं कि गंगा स्नान से शारीरिक और आत्मिक शुद्धि होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक दृष्टिकोण से गंगा जल को अमृत तुल्य माना गया है। यह न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गंगा दशहरा के दिन गंगा जल का घरों में छिड़काव किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है।
इस दिन लोग व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और देवी गंगा की स्तुति करते हैं। कई स्थानों पर मेले भी लगते हैं जहाँ श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
गंगा दशहरा हमें न केवल गंगा माँ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देता है, बल्कि यह हमें पर्यावरण संरक्षण और नदियों की महत्ता को समझने का भी संदेश देता है। माँ गंगा हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और उन्हें स्वच्छ और अविरल बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है।
संदेश:
गंगा दशहरा के दिन हम संकल्प लें कि हम गंगा और अन्य नदियों को प्रदूषित नहीं करेंगे और उनके संरक्षण के लिए प्रयासरत रहेंगे।
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