GENEVA CONVENTION
जिनेवा संधि: युद्ध में मानवता की रक्षा का प्रतीक
जिनेवा संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य युद्ध के समय घायल सैनिकों, युद्धबंदियों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह संधि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का एक प्रमुख आधार है और इसे युद्ध के दौरान मानव अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है।
पहली जिनेवा संधि 1864 में स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा शहर में संपन्न हुई थी। इस संधि के पीछे हेनरी ड्यूनांट की प्रेरणा थी, जिन्होंने सोल्फेरिनो की लड़ाई में घायल सैनिकों की दुर्दशा देखी थी। उन्होंने इस अनुभव को अपनी पुस्तक "A Memory of Solferino" में लिखा और एक तटस्थ राहत संगठन की आवश्यकता को बताया, जिससे बाद में रेड क्रॉस की स्थापना हुई।
जिनेवा संधि की कुल चार प्रमुख संधियाँ हैं:
- 1864 की संधि (बाद में 1949 में संशोधित) – युद्ध में घायल सैनिकों की देखभाल के लिए।
- 1906 और 1949 की संधि – समुद्री युद्ध में घायल सैनिकों की सुरक्षा के लिए।
- 1929 और 1949 की संधि – युद्धबंदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए।
- 1949 की चौथी संधि – युद्ध के दौरान नागरिकों की रक्षा के लिए।
इन संधियों के तहत युद्ध में शामिल सभी देशों को घायल, बीमार या बंदी बनाए गए व्यक्तियों के साथ मानवीय व्यवहार करना अनिवार्य है। उन्हें भोजन, चिकित्सा, सम्मान और सुरक्षा दी जानी चाहिए।
आज जिनेवा संधियाँ 190 से अधिक देशों द्वारा मान्य हैं। ये संधियाँ युद्ध में भी मानवता बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण कोशिश हैं और यह दिखाती हैं कि मानवाधिकारों की रक्षा हर परिस्थिति में आवश्यक है।
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