MIR USMAN ALI KHAN

 

मीर उस्मान अली खान 

मीर उस्मान अली खान हुकूमत-ए-उस्मानिया (हैदराबाद रियासत) के सातवें और अंतिम निज़ाम थे, जिनका शासनकाल 1911 से 1948 तक रहा। वे भारत के इतिहास में सबसे प्रभावशाली, संपन्न और लोकप्रिय शासकों में गिने जाते हैं। मीर उस्मान अली खान को दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक माना जाता था। उनकी अपार संपत्ति, सुव्यवस्थित प्रशासन और समाजकल्याण के प्रति समर्पण की वजह से उनका नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है।

मीर उस्मान अली खान के शासन में हैदराबाद रियासत शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ी। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो आज भी भारत के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक है। इसके अलावा उन्होंने अस्पताल, सड़कें, पुल, जलापूर्ति परियोजनाएँ और कई अन्य सार्वजनिक सुविधाएँ विकसित करवाईं। उनकी प्रजा उन्हें एक दयालु और न्यायप्रिय शासक के रूप में देखती थी।

उनकी उदारता पूरे देश में प्रसिद्ध थी। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और कई मंदिरों, मस्जिदों व गुरुद्वारों को भी दान दिया। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी उन्होंने भारतीय सेना की सहायता के लिए बड़ी धनराशि प्रदान की।

मीर उस्मान अली खान का जीवन साधारण और अनुशासित था। अत्यधिक धन-संपत्ति होने के बावजूद वे सरल वस्त्र पहनते और सादा जीवन जीते थे। कहा जाता है कि वे एक पुरानी पेन और साधारण सिगरेट उपयोग करते थे।

1948 में भारत सरकार ने हैदराबाद को अपने संघ में शामिल किया, जिसके बाद निज़ाम की राजनीतिक शक्ति समाप्त हो गई। फिर भी, मीर उस्मान अली खान को उनके योगदान, दानशीलता और सुशासन के लिए हमेशा याद किया जाता है। वे भारत के इतिहास में एक प्रगतिशील और बुद्धिमान शासक के रूप में अमर हैं।

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