LOTUS TEMPLE DELHI

 

लोटस टेंपल (कमल मंदिर), दिल्ली

लोटस टेंपल, जिसे कमल मंदिर भी कहा जाता है, भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह मंदिर अपने अद्भुत कमल के आकार के वास्तुशिल्प और शांति के संदेश के लिए जाना जाता है। यह बहाई धर्म का उपासना स्थल है, लेकिन यहाँ सभी धर्मों के लोग आकर प्रार्थना कर सकते हैं।


मंदिर का इतिहास

लोटस टेंपल का निर्माण 1986 में पूरा हुआ था। इसका डिज़ाइन फरिबोर्ज़ सहबा नामक एक ईरानी-Canadian वास्तुकार ने तैयार किया था। यह मंदिर बहाई धर्म के अनुयायियों के लिए दुनिया के सात प्रमुख उपासना स्थलों में से एक है।

बहाई धर्म का मूल सिद्धांत यह है कि संपूर्ण मानव जाति एक है और सभी धर्म समान हैं। इसलिए, इस मंदिर में किसी भी धर्म का व्यक्ति आकर शांति और ध्यान कर सकता है।


लोटस टेंपल की वास्तुकला

लोटस टेंपल की वास्तुकला इसकी सबसे अनोखी विशेषता है। यह मंदिर एक विशाल कमल के फूल के आकार में बनाया गया है, जो भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

मुख्य विशेषताएँ

  1. कमल के आकार की संरचना – इस मंदिर की पूरी संरचना सफेद संगमरमर से बनी हुई है और यह पूरी तरह से एक खिले हुए कमल के समान दिखती है।
  2. 27 पंखुड़ियाँ – मंदिर की छत 27 संगमरमर की पंखुड़ियों से बनी है, जो 3 समूहों में विभाजित हैं।
  3. कोई मूर्ति या धार्मिक चिह्न नहीं – मंदिर में किसी भी प्रकार की मूर्ति, तस्वीर या धार्मिक प्रतीक नहीं रखा गया है, ताकि सभी धर्मों के लोग यहाँ आकर ध्यान कर सकें।
  4. विशाल प्रार्थना कक्ष – मंदिर का केंद्रीय हॉल बहुत विशाल है, जहाँ 2,500 लोग एक साथ बैठकर प्रार्थना और ध्यान कर सकते हैं।
  5. जलाशय और हरियाली – मंदिर के चारों ओर नौ सुंदर जलाशय और हरे-भरे बगीचे इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

लोटस टेंपल का मुख्य उद्देश्य शांति, एकता और ध्यान को बढ़ावा देना है। यहाँ किसी भी धर्म के व्यक्ति आ सकते हैं और अपनी प्रार्थना कर सकते हैं। बहाई धर्म के अनुसार, सभी धर्मों की मूल शिक्षा समान होती है और ईश्वर एक ही है।

यह मंदिर किसी विशेष धार्मिक अनुष्ठान, पूजा या मंत्रोच्चारण के बजाय ध्यान और मौन प्रार्थना के लिए बनाया गया है।


पर्यटन और लोकप्रियता

लोटस टेंपल दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। प्रतिवर्ष यहाँ लाखों पर्यटक आते हैं।

  • यह भारत में ताजमहल के बाद सबसे अधिक देखे जाने वाले स्मारकों में से एक है।
  • इसे 1987 में वास्तुकला के लिए बहाई पुरस्कार मिला था।
  • कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और टेलीविज़न चैनलों ने इसे दुनिया की सबसे अद्भुत इमारतों में शामिल किया है।

लोटस टेंपल कैसे पहुँचे?

लोटस टेंपल दक्षिण दिल्ली के नेहरू प्लेस के पास स्थित है और यहाँ पहुँचना बहुत आसान है।

  • मेट्रो: निकटतम मेट्रो स्टेशन कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन (वायलेट लाइन) है।
  • बस: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसें भी इस क्षेत्र में नियमित रूप से चलती हैं।
  • टैक्सी/कैब: आप कैब या ऑटो-रिक्शा से भी यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।

मंदिर खुलने का समय और प्रवेश शुल्क

  • समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सोमवार को बंद रहता है)।
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं, यह पूरी तरह मुफ्त है।

निष्कर्ष

लोटस टेंपल केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शांति, एकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इसकी अद्भुत वास्तुकला, शांत वातावरण और धार्मिक सहिष्णुता इसे दुनिया के सबसे खास स्थलों में शामिल करते हैं। यदि आप कभी दिल्ली जाएँ, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें और इसकी दिव्यता का अनुभव करें।

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