RAVISH KUMAR
रवीश कुमार एक प्रमुख भारतीय पत्रकार, लेखक और मीडिया हस्ती हैं, जो अपनी निष्पक्ष और गहन पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 5 दिसंबर 1974 को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के जितवारपुर गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना के लोयोला हाई स्कूल से प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।
रवीश कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1996 में एनडीटीवी से की, जहाँ उन्होंने एक पत्र छांटने वाले के रूप में कार्य किया। धीरे-धीरे, अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर, वे एनडीटीवी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक बने। इस दौरान, उन्होंने 'प्राइम टाइम', 'हम लोग' और 'रवीश की रिपोर्ट' जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों की मेजबानी की, जो समाज के जमीनी मुद्दों को उजागर करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
पत्रकारिता में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए रवीश कुमार को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 2010 में, उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से नवाजा गया, जो 2014 में प्रदान किया गया। 2013 में, उन्हें 'रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार' में 'वर्ष के सर्वश्रेष्ठ पत्रकार (प्रसारण)' का खिताब मिला। 2019 में, उन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
रवीश कुमार ने पत्रकारिता के साथ-साथ लेखन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी प्रमुख पुस्तकों में 'इश्क में शहर होना', 'देखते रहिये', 'रवीशपंती' और 'द फ्री वॉइस: ऑन डेमोक्रेसी, कल्चर एंड द नेशन' शामिल हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने समाज, राजनीति और संस्कृति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए हैं।
निजी जीवन में, रवीश कुमार की शादी नयना दासगुप्ता से हुई है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर हैं। उनकी दो बेटियाँ हैं। रवीश कुमार का मानना है कि पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य समाज के वंचित और कमजोर वर्गों की आवाज़ बनना है, और वे अपने कार्यों के माध्यम से इस सिद्धांत को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।
2022 में, रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद वे स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय हैं। उनकी निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता ने उन्हें भारतीय मीडिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है, और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
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