PILAK TRIPURA

 

पिलक, त्रिपुरा 

पिलक (Pilak) त्रिपुरा राज्य के दक्षिण त्रिपुरा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। यह स्थान अमरपुर उपखंड के जुलजुलिया और बागमती क्षेत्रों के निकट स्थित है, जो त्रिपुरा की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को उजागर करता है। पिलक एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपनी प्राचीन मूर्तियों, स्थापत्य कला और बौद्ध-हिंदू संस्कृति के अद्भुत संगम के लिए जाना जाता है।

पिलक की खोज 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच की गई पुरातात्विक वस्तुओं से हुई, जो इसे पाल, गुप्त और सेन वंश की कलाओं से जोड़ती है। यहाँ खुदाई के दौरान कई बुद्ध और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें भगवान विष्णु, शिव, गणेश, देवी दुर्गा, तथा बुद्ध की प्रतिमाएँ प्रमुख हैं। ये मूर्तियाँ बलुआ पत्थर से बनी हुई हैं और इन पर की गई नक्काशी उस समय की उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रमाण देती है।

पिलक की एक खास विशेषता यह है कि यहाँ बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के प्रतीकों का सामंजस्य दिखाई देता है। यह स्थान धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक मेल का प्रतीक माना जाता है। यहाँ मिले स्तूप, मंदिर और अन्य वास्तु अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यह क्षेत्र कभी एक समृद्ध धार्मिक केंद्र था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने इस क्षेत्र में कई खुदाइयाँ की हैं और कई मूर्तियाँ एवं शिलालेख संरक्षित किए हैं। ये मूर्तियाँ अब अगरतला के राज्य संग्रहालय और स्थानीय संग्राहलयों में भी देखी जा सकती हैं। पिलक का ऐतिहासिक महत्व इसे एक महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र भी बनाता है जहाँ इतिहासकार और शोधकर्ता आते हैं।

पिलक में प्रतिवर्ष एक सांस्कृतिक उत्सव भी आयोजित किया जाता है, जिसमें त्रिपुरा की लोक कला, नृत्य, संगीत और शिल्पकला को प्रदर्शित किया जाता है। यह मेला पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति को संरक्षित रखने में भी योगदान देता है।

संक्षेप में, पिलक न केवल त्रिपुरा की ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की विविध और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को भी दर्शाता है। यहाँ की यात्रा इतिहास प्रेमियों, कला विशेषज्ञों और धार्मिक पर्यटकों के लिए एक अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक अनुभव होती है।

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