SAMTA STHAL DELHI
समता स्थल
समता स्थल भारत के पूर्व उपप्रधान मंत्री और सामाजिक न्याय के अग्रदूत बाबू जगजीवन राम की समाधि-स्थली है, जो नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे, राज घाट परिसर के निकट स्थित है। “समता” अर्थात् समानता और “स्थल” यानी स्थान—यह नाम ही उस आदर्श को दर्शाता है जिसके लिए बाबू जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया था: जाति-भेद, अस्पृश्यता और असमानता के विरुद्ध संघर्ष।
बाबू जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई 1986 को हुआ था और उसी दिन उनका अंतिम संस्कार यहीं किया गया। संगमरमर-युक्त यह समाधि साधारण-सी चौकोर चबूतरी पर बनी है, जिसके ऊपर काले ग्रेनाइट का पट्ट लगा है। इस पर “समता” शब्द स्वर्णाक्षरों में उकेरा गया है, जो आगंतुकों को समानता और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। समाधि के चारों ओर हरे-भरे लॉन, छायादार वृक्ष और पगडंडियाँ हैं, जो स्थल को शांत, पवित्र और ध्यानपूर्ण वातावरण प्रदान करती हैं।
हर वर्ष दो विशेष अवसर—5 अप्रैल (जन्म-जयंती) और 6 जुलाई (पुण्य-तिथि)—पर यहाँ श्रद्धांजलि समारोह आयोजित होता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विभिन्न दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक पुष्पांजलि अर्पित करके बाबू जी के आदर्शों को याद करते हैं। अलग-अलग विद्यालयों और दलित संगठनों के छात्र-छात्राएँ भी इस दिन सामाजिक न्याय पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
समता स्थल परिसर में एक छोटा-सा संग्रहणालय भी है, जिसमें बाबू जगजीवन राम के उपयोग में आए व्यक्तिगत वस्त्र, पुस्तकों, भाषण-पांडुलिपियों तथा फ़ोटोग्राफ़ों का प्रदर्शन है। इससे नई पीढ़ी को उनके जीवनपथ और संघर्षों की जानकारी मिलती है।
संक्षेप में, समता स्थल केवल एक समाधि नहीं, बल्कि यह भारत के सामाजिक न्याय, समान अवसर और मानव मर्यादा के सतत् आंदोलन का प्रतीक है। यहाँ की नीरवता हमारे अंतर्मन में वह आवाज़ जगाती है कि “जब तक समता नहीं, तब तक शांति नहीं।”
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