VIJAY GHAT DELHI

 

विजय घाट

विजय घाट भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की समाधि स्थल है, जो दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित है। यह स्थल राष्ट्र के प्रति शास्त्री जी के योगदान, उनके त्याग, सादगी और नेतृत्व को सम्मान देने हेतु निर्मित किया गया है। शास्त्री जी का निधन 11 जनवरी 1966 को ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान) में हुआ था, और उसके बाद उनका अंतिम संस्कार यहीं पर किया गया।

विजय घाट एक शांत, सुंदर और हरा-भरा स्थल है। यहाँ पर काले रंग के संगमरमर से बनी एक समाधि बनी हुई है, जिस पर "विजय" शब्द अंकित है, जो शास्त्री जी के संकल्प, साहस और देशभक्ति का प्रतीक है। शास्त्री जी का प्रसिद्ध नारा "जय जवान, जय किसान" आज भी देश के लोगों के दिलों में गूंजता है।

यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़े महापुरुषों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं। हर वर्ष 11 जनवरी को यहाँ शास्त्री जी की पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

विजय घाट का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण होता है, और यहाँ का बाग-बगीचा, साफ-सुथरी पगडंडियाँ और हरियाली इसे ध्यान, चिंतन और आत्म-चिंतन के लिए उपयुक्त स्थल बनाते हैं।

राज घाट, शांति वन, शक्ति स्थल और वीर भूमि जैसे अन्य समाधि स्थलों के पास ही स्थित विजय घाट दिल्ली आने वाले पर्यटकों के लिए एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक स्थल है।

संक्षेप में, विजय घाट सिर्फ एक समाधि नहीं, बल्कि यह भारत की राजनीति में ईमानदारी, सेवा और सादगी के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धांजलि देने का स्थल है।

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