EQUATOR
भूमध्य रेखा (Equator)
भूमध्य रेखा पृथ्वी की एक काल्पनिक रेखा है, जो ग्रह को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में बराबर-बराबर बाँटती है। यह रेखा 0° अक्षांश पर स्थित होती है और पृथ्वी के केंद्र से होकर गुजरती है। इसे अंग्रेज़ी में Equator कहा जाता है। यह रेखा पृथ्वी के सबसे चौड़े हिस्से पर स्थित होती है और इसका परिधि लगभग 40,075 किलोमीटर होती है।
भौगोलिक महत्व:
भूमध्य रेखा वह स्थान है जहाँ सूर्य की किरणें साल में दो बार (21 मार्च और 23 सितंबर) सीधी पड़ती हैं। इन दिनों को विषुव (Equinox) कहा जाता है, जब दिन और रात की अवधि समान होती है। भूमध्य रेखा पर दिन और रात लगभग साल भर बराबर रहते हैं, क्योंकि यहाँ पर सूर्य की स्थिति लगभग स्थिर होती है।
यह रेखा पृथ्वी की जलवायु को भी प्रभावित करती है। भूमध्य रेखा के आसपास का क्षेत्र उष्ण कटिबंध (Tropical Zone) कहलाता है, जहाँ साल भर गर्म और आर्द्र (नम) जलवायु पाई जाती है। इस क्षेत्र में वर्षा अधिक होती है और यहाँ विश्व के सबसे घने वर्षावन, जैसे – अमेज़न वर्षावन, पाए जाते हैं।
भूमध्य रेखा से गुजरने वाले प्रमुख देश:
भूमध्य रेखा पृथ्वी के कुल 13 देशों से होकर गुजरती है। इनमें प्रमुख हैं:
- इक्वाडोर
- कोलंबिया
- ब्राज़ील
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
- गैबॉन
- साओ टोमे और प्रिंसिपे
- केन्या
- युगांडा
- सोमालिया
- इंडोनेशिया
- मालदीव (निकट)
- किरीबाती
- और अन्य कुछ द्वीप राष्ट्र
इन देशों में कई स्थानों पर भूमध्य रेखा स्मारक बनाए गए हैं, जहाँ पर्यटक जाकर इस अदृश्य रेखा को देखने और अनुभव करने का प्रयास करते हैं।
वैज्ञानिक और पर्यावरणीय उपयोग:
भूमध्य रेखा पर गुरुत्वाकर्षण बल थोड़ा कम होता है, और यही कारण है कि रॉकेट लॉन्चिंग के लिए भूमध्यरेखा के समीप स्थित केंद्र अधिक प्रभावी माने जाते हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति भी भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक होती है।
निष्कर्षतः, भूमध्य रेखा पृथ्वी का संतुलन बिंदु है, जो न केवल भूगोल और खगोलशास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि पृथ्वी के मौसम, दिन-रात और पारिस्थितिकी तंत्र को भी गहराई से प्रभावित करती है।
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