GITANJALI

 

गीतांजलि 

‘गीतांजलि’ (Gitanjali) रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित एक महान काव्य संग्रह है, जो भारतीय और विश्व साहित्य में एक ऐतिहासिक कृति मानी जाती है। यह मूलतः बंगला भाषा में लिखा गया था, लेकिन स्वयं टैगोर ने इसका अनुवाद अंग्रेज़ी में किया। अंग्रेज़ी संस्करण को 1913 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ, जिससे रवीन्द्रनाथ टैगोर पहले एशियाई नोबेल विजेता बने।

गीतांजलि का अर्थ होता है – "गीतों की अर्पणा" या "गीतों की भेंट"। यह पुस्तक आध्यात्मिक विचारों, आत्मा और परमात्मा के संबंध, मानवता, प्रकृति प्रेम और भक्ति से ओतप्रोत है। इसमें कुल 103 कविताएं (अंग्रेज़ी संस्करण में) हैं, जो सरल भाषा में गहरे भाव प्रकट करती हैं।

मुख्य विषयवस्तु:
‘गीतांजलि’ की कविताएं मुख्यतः ईश्वर से संवाद, आध्यात्मिकता, नश्वरता और अमरता, प्रकृति की सुंदरता, और मानव आत्मा की खोज जैसे विषयों को छूती हैं। टैगोर ने ईश्वर को कोई दूर बैठा देवता नहीं, बल्कि मानव के भीतर उपस्थित, निकटतम साथी और प्रेमी के रूप में दर्शाया है।

उनकी कविताओं में गहरी आध्यात्मिक भावना तो है ही, परंतु उसमें वैज्ञानिक, दार्शनिक और मानवीय दृष्टिकोण भी समाहित है। यह एक प्रकार का भक्ति-संग्रह है, जिसमें काव्य के माध्यम से आत्मा और ब्रह्म के बीच संबंधों को बड़ी संवेदनशीलता से दर्शाया गया है।

भाषा और शैली:
गीतांजलि की भाषा अत्यंत सरल, संगीतात्मक और काव्यात्मक है। टैगोर ने प्रतीकों, रूपकों और प्रकृति के सुंदर चित्रों का उपयोग करते हुए अपने भावों को अभिव्यक्त किया है। उनकी कविताएं पाठक को ध्यान, मौन और आत्मचिंतन की ओर ले जाती हैं।

महत्व और प्रभाव:
गीतांजलि ने न केवल भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि टैगोर को भी विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। इस कृति के माध्यम से भारत की आध्यात्मिक परंपरा, दर्शन और भावनात्मक गहराई को पश्चिमी दुनिया ने सराहा।

निष्कर्षतः, 'गीतांजलि' केवल एक काव्य-संग्रह नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो पाठक को आत्मा की गहराइयों से जोड़ती है। यह कृति आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है जितनी अपने समय में थी।

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