GODAVARI
गोदावरी नदी
गोदावरी नदी भारत की एक प्रमुख और पवित्र नदियों में से एक है। इसे 'दक्षिण गंगा' या 'गंगा ऑफ साउथ इंडिया' भी कहा जाता है। यह नदी भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर से उत्पन्न होती है और पूर्व दिशा की ओर बहती हुई आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 1,465 किलोमीटर है, जिससे यह भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
गोदावरी का उद्गम स्थल त्र्यंबकेश्वर एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ भगवान शिव का एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग भी स्थित है। इस क्षेत्र में हर 12 वर्षों में कुंभ मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। नासिक और पंचवटी के गोदावरी घाट भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
गोदावरी नदी कई सहायक नदियों से मिलकर विशाल जलप्रवाह बनाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ प्रवरा, इंद्रावती, मंजरि, सबरी और पैनगंगा हैं। यह नदी खेती के लिए जीवनरेखा के समान है, विशेषकर महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में। गोदावरी के जल से कई सिंचाई परियोजनाएँ संचालित होती हैं, जैसे श्रीराम सागर परियोजना, जयकवाड़ी बांध, पोलावरम परियोजना आदि।
गोदावरी नदी के तट पर कई ऐतिहासिक और धार्मिक नगर बसे हुए हैं, जैसे नासिक, नांदेड़, राजमुंद्री और भद्राचलम। नांदेड़ में स्थित हजूर साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म का प्रमुख स्थल है, जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे।
नदी के किनारे का क्षेत्र जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ कई प्रकार के पक्षी, मछलियाँ और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। नदी के किनारे स्थित जंगल और घाटियाँ पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हैं।
हालाँकि, आधुनिक समय में प्रदूषण और अंधाधुंध निर्माण ने नदी की शुद्धता को प्रभावित किया है। सरकार और स्थानीय समुदाय मिलकर इसके संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं।
इस प्रकार, गोदावरी नदी न केवल भौगोलिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से भी भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
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