DALAI LAMA
दलाई लामा: शांति, करुणा और अध्यात्म के प्रतीक
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धार्मिक गुरु होते हैं। "दलाई" मंगोल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है "समुद्र", और "लामा" तिब्बती भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है "गुरु"। इस प्रकार "दलाई लामा" का अर्थ होता है – "ज्ञान का समुद्र"। दलाई लामा को करुणा, अहिंसा और विश्व शांति का प्रतीक माना जाता है।
वर्तमान (14वें) दलाई लामा का नाम तेनजिन ग्यात्सो है। इनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के ताकस्तेर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता दी गई। तिब्बती मान्यता के अनुसार, दलाई लामा एक विशेष अवतार होते हैं जो बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के रूप माने जाते हैं।
1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा करना शुरू किया, तब दलाई लामा मात्र 15 वर्ष के थे। कुछ वर्षों तक उन्होंने चीन से संवाद का प्रयास किया, लेकिन 1959 में तिब्बत में विद्रोह होने पर उन्हें तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। भारत सरकार ने उन्हें और उनके साथ आए हजारों तिब्बती शरणार्थियों को धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में बसने की अनुमति दी।
धर्मशाला में "तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल" की स्थापना की गई, जहाँ से दलाई लामा तिब्बती समुदाय का नेतृत्व करते हैं। उन्होंने हिंसा का कभी समर्थन नहीं किया और हमेशा "मध्य मार्ग" (Middle Way) की नीति अपनाई, जिसका उद्देश्य है – चीन के साथ शांतिपूर्ण संवाद के माध्यम से तिब्बत को वास्तविक स्वायत्तता दिलाना।
दलाई लामा को विश्व भर में शांति, सहिष्णुता और मानवता के प्रचार के लिए जाना जाता है। वर्ष 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने हमेशा सभी धर्मों के बीच आपसी सम्मान और संवाद की बात कही है।
दलाई लामा आज भी एक आध्यात्मिक नेता के रूप में सक्रिय हैं, हालांकि वे अब तिब्बती राजनीतिक नेतृत्व से अलग हो चुके हैं। वे लोगों को आंतरिक शांति, करुणा और ध्यान के माध्यम से एक बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
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