GOBI DESERT
गोबी रेगिस्तान
गोबी रेगिस्तान एशिया महाद्वीप का एक प्रमुख और विशाल रेगिस्तान है, जो मंगोलिया और चीन के कुछ भागों में फैला हुआ है। यह विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तानों में से एक है, जिसकी लंबाई लगभग 1,600 किलोमीटर और चौड़ाई लगभग 800 किलोमीटर है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह रेगिस्तान अपनी कठोर जलवायु, सूखी भूमि और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
गोबी का अर्थ मंगोलियाई भाषा में "पथरीली ज़मीन" होता है। यह रेगिस्तान पूरी तरह से रेत से भरा हुआ नहीं है, बल्कि इसमें अधिकतर कंकरीली और पथरीली ज़मीन है। यहाँ की जलवायु अत्यंत चरम होती है—गर्मी में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जबकि सर्दियों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। वर्षा बहुत कम होती है और कुछ स्थानों पर तो वर्षा साल भर में केवल 100 मिमी ही होती है।
गोबी रेगिस्तान का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। यह प्राचीन रेशम मार्ग (Silk Road) का हिस्सा था, जो चीन को यूरोप और मध्य एशिया से जोड़ता था। इस मार्ग से व्यापार, संस्कृति, और विचारों का आदान-प्रदान होता था। प्रसिद्ध यात्री मार्को पोलो ने भी गोबी रेगिस्तान की यात्रा की थी और इसके अनुभवों को अपनी यात्रा वृतांत में वर्णित किया है।
गोबी में पाए जाने वाले जीव-जंतु अत्यंत रोचक हैं। यहाँ की कठोर जलवायु में भी कुछ खास तरह के जीव-जंतु और पौधे पाए जाते हैं जैसे कि बख़्तरबंद ऊँट (Bactrian Camel), गोबी भेड़िए, गिद्ध, जंगली घोड़े और विभिन्न प्रकार के सरीसृप। यहाँ की वनस्पति में अधिकतर कांटे वाली झाड़ियाँ और रेत में उगने वाले पौधे शामिल हैं।
हालांकि गोबी रेगिस्तान में इंसानी बसावट बहुत कम है, फिर भी कुछ मंगोल जनजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। ये लोग खानाबदोश जीवन जीते हैं और ऊँट, घोड़े तथा याक जैसे पशुओं पर निर्भर रहते हैं। आधुनिक समय में यहाँ खनिज संपदाओं की खोज और दोहन ने इसे आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यहाँ कोयला, तांबा, और अन्य खनिजों की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
गोबी रेगिस्तान वैश्विक जलवायु परिवर्तन से भी प्रभावित हो रहा है। रेगिस्तान का फैलाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है जिससे आसपास की कृषि योग्य भूमि पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या को देखते हुए चीन और मंगोलिया सरकारों ने वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण की योजनाएँ चलाई हैं।
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