MURUD JANJIRA FORT RAIGARH
मुरुद-जंजिरा किला
मुरुद-जंजिरा किला महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध समुद्री किला है। यह किला अरब सागर के तट से कुछ दूरी पर एक छोटे से द्वीप पर बना हुआ है। यह भारत के कुछ चुनिंदा समुद्री किलों में से एक है, जो समुद्र के बीचोंबीच स्थित होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था।
"जंजिरा" शब्द का अर्थ अरबी भाषा में "द्वीप" होता है, जबकि "मुरुद" उस तटीय गाँव का नाम है जो इस किले के सामने स्थित है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी के अंत में एक स्थानीय मौर मुस्लिम सरदार राम पाटिल ने लकड़ी से करवाया था, लेकिन बाद में इसे सिद्दियों (Habshi या अफ्रीकी मूल के योद्धाओं) ने जीत लिया और पत्थरों से फिर से बनवाया। इस प्रकार यह किला सिद्दी शासन के अधीन आ गया और कई वर्षों तक अपराजित रहा।
मुरुद-जंजिरा किला अपनी अभेद्य रचना और समुद्र से सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध है। यह किला लगभग 22 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसकी दीवारें बहुत ऊँची व मजबूत हैं। किले में कई बुर्ज, तोपें, पानी के टैंक और मस्जिदें हैं। इसमें कुल 19 बुर्ज हैं और कुछ प्राचीन तोपें आज भी मौजूद हैं, जिनमें "कालाल बांगड़ी" और "चावरी" जैसी विशाल तोपें प्रमुख हैं।
इतिहासकारों के अनुसार शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज ने कई बार इस किले को जीतने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें असफलता मिली। यही कारण है कि मुरुद-जंजिरा को "अजेय किला" (Invincible Fort) कहा जाता है। यह किला समुद्र की लहरों से घिरा होने के कारण दुश्मनों के लिए पहुँचना अत्यंत कठिन था।
निष्कर्ष:
मुरुद-जंजिरा किला भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली प्रतीक है। इसकी वास्तुकला, समुद्री सुरक्षा और अपराजेयता इसे अन्य किलों से अलग बनाती है। आज यह किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ इतिहास प्रेमी, विद्यार्थी और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और भारत की समृद्ध विरासत का अनुभव करते हैं।
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