TIBBET



तिब्बत: छतों का देश

तिब्बत एक विशिष्ट भौगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान वाला क्षेत्र है, जो एशिया के मध्य में स्थित है। यह विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, जिसे "दुनिया की छत" (Roof of the World) कहा जाता है। यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ का प्राकृतिक वातावरण अत्यंत कठोर तथा ठंडा होता है।

तिब्बत ऐतिहासिक रूप से एक स्वतंत्र राष्ट्र रहा है, लेकिन वर्तमान में यह चीन के अधीन एक स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) है। तिब्बती लोग अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि, धर्म और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म यहाँ का प्रमुख धर्म है, जिसकी शिक्षाएँ करुणा, अहिंसा और साधना पर आधारित हैं।

दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े धार्मिक गुरु माने जाते हैं। 1959 में जब चीन ने तिब्बत पर पूरा नियंत्रण स्थापित किया, तब दलाई लामा और हजारों तिब्बती शरणार्थी भारत आ गए। आज भारत के धर्मशाला नगर में तिब्बती शरणार्थियों का मुख्यालय स्थित है।

तिब्बत की राजधानी ल्हासा है, जहाँ पोताला महल और जोखांग मंदिर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं। तिब्बती संस्कृति में प्रार्थना चक्र, प्रार्थना झंडियाँ, याक, ऊनी वस्त्र और पर्वतीय जीवनशैली विशेष रूप से देखी जा सकती है।

आज भी तिब्बती लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका जीवन संयम, सहनशीलता और शांति से परिपूर्ण है। तिब्बत केवल एक भू-भाग नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण और जीवंत परंपरा का प्रतीक है।



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