BURHANPUR
बुरहानपुर
बुरहानपुर मध्य प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर है, जो ताप्ती नदी के तट पर स्थित है। यह नगर खानदेश क्षेत्र का एक प्रमुख केंद्र रहा है और मध्य भारत के इतिहास में इसका विशेष स्थान है। बुरहानपुर को कभी "मध्य भारत का द्वार" कहा जाता था।
इस नगर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फारसी सूफी संत हज़रत सैयद बुरहानुद्दीन के सम्मान में की गई थी, जिनके नाम पर इसका नाम "बुरहानपुर" पड़ा। यह नगर फारसी, मुग़ल और मराठा शासनों के अधीन रहा और स्थापत्य, कला, साहित्य और संस्कृति का केंद्र बना।
मुग़ल काल में बुरहानपुर ने विशेष महत्त्व प्राप्त किया। जहाँगीर, शाहजहाँ, और औरंगज़ेब जैसे मुग़ल सम्राटों ने इसे एक महत्वपूर्ण सैन्य और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया। यह नगर एक समय मुग़ल सल्तनत की दक्षिणी राजधानी भी रहा। यहीं पर शाहजहाँ की पत्नी मुमताज़ महल की मृत्यु हुई थी, जिनकी याद में बाद में ताजमहल का निर्माण हुआ।
बुरहानपुर में कई ऐतिहासिक स्मारक और स्थापत्य चमत्कार स्थित हैं:
- शाही किला – ताप्ती नदी के किनारे स्थित यह किला मुग़ल स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है।
- बदशाही किला और रानी महल – शाही जीवनशैली के प्रतीक।
- दवाख़ाना हकीम साहब और दरगाह-ए-हकीमी – बोहरा समाज का प्रमुख तीर्थस्थल।
- हमामखाना – मुमताज़ महल के लिए बनवाया गया सुंदर स्नानगृह।
- जामा मस्जिद – मुग़ल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण।
बुरहानपुर वस्त्र उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। यहाँ का मलमल कपड़ा विश्वप्रसिद्ध था। वर्तमान में भी यहाँ हैंडलूम, पावरलूम और कपास आधारित उद्योग महत्त्वपूर्ण हैं।
आज बुरहानपुर एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल और धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी है। यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, बोहरा और सिख समुदाय आपसी सद्भाव के साथ रहते हैं।
निष्कर्षतः, बुरहानपुर एक ऐसा नगर है जो इतिहास, स्थापत्य, संस्कृति और धर्म का सुंदर संगम है। इसकी विरासत और सौंदर्य आज भी इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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