TROPIC OF CANCER MARKER IN INDIA
भारत में कर्क रेखा संकेतक (Tropic of Cancer Marker
कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पृथ्वी की एक प्रमुख काल्पनिक अक्षांशीय रेखा है, जो भूमध्य रेखा से 23.5° उत्तर पर स्थित है। यह रेखा भारत को दो भौगोलिक भागों में बाँटती है — उष्णकटिबंधीय क्षेत्र और शीतोष्ण क्षेत्र। भारत के 8 राज्यों से होकर गुजरने वाली कर्क रेखा को चिन्हित करने के लिए कई स्थानों पर स्थायी संकेतक (marker) बनाए गए हैं, जो शैक्षणिक, भौगोलिक और पर्यटक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
भारत में कर्क रेखा संकेतक (Markers) के प्रमुख स्थल:
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कालोल, गुजरात
- यहाँ एक सुंदर पत्थर की संरचना और सूचना पट्टिका द्वारा कर्क रेखा को दर्शाया गया है।
- पर्यटकों और छात्रों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
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राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
- एक भव्य लोहे की पट्टिका और रेखा ज़मीन पर दर्शाई गई है।
- साथ में भौगोलिक जानकारी भी दी गई है।
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उज्जैन, मध्य प्रदेश
- यहाँ पर जंतर मंतर (वेदशाला) के पास कर्क रेखा का संकेतक मौजूद है।
- यह स्थान भारतीय मानक समय (IST) के गणना केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
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सोनामुरा, त्रिपुरा
- भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित यह स्थल कर्क रेखा के पूर्वी संकेत बिंदुओं में से एक है।
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महादेवबेरिया, पश्चिम बंगाल
- यहाँ भी एक स्पष्ट सूचना पट्टिका द्वारा कर्क रेखा को दर्शाया गया है।
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कंकरौली, राजस्थान
- यह स्थान भी कर्क रेखा से प्रभावित है और यहाँ स्थानीय स्तर पर इसे चिह्नित किया गया है।
कर्क रेखा संकेतकों का उद्देश्य:
- भूगोल और खगोलशास्त्र की पढ़ाई में सहायक।
- स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
- लोगों को पृथ्वी की संरचना और सूर्य की गति को समझने में मदद करना।
निष्कर्षतः, भारत में कर्क रेखा के संकेतक न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे शिक्षा, जागरूकता और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी एक विशिष्ट भूमिका निभाते हैं।
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