PRIME MERIDIAN
प्राइम मेरीडियन (Prime Meridian
प्राइम मेरीडियन वह काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्धों में विभाजित करती है। यह 0° देशांतर (Longitude) पर स्थित होती है और इसका निर्धारण इंग्लैंड के ग्रीनविच स्थित रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी से होकर गुजरने वाली रेखा को आधार मानकर किया गया है। इसी कारण इसे अक्सर ग्रीनविच मेरीडियन भी कहा जाता है।
1884 ईस्वी में वाशिंगटन डी.सी. में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्राइम मेरीडियन को विश्व मानक देशांतर रेखा घोषित किया गया। इससे पहले अलग-अलग देशों के पास अपने-अपने देशांतर आधार थे, जिससे समुद्री और वैश्विक समय निर्धारण में भ्रम होता था। इस निर्णय से एक वैश्विक प्रणाली स्थापित हुई।
प्राइम मेरीडियन के आधार पर ही पूरी दुनिया में देशांतर रेखाएँ तय की जाती हैं — जैसे 10°, 20°, 90° पूर्व या पश्चिम। इसी के आधार पर समय क्षेत्रों (Time Zones) की भी गणना होती है। उदाहरण के लिए, भारत का मानक समय है GMT +5:30, जो ग्रीनविच मीन टाइम से साढ़े पाँच घंटे आगे है।
भौगोलिक और वैज्ञानिक महत्व:
- प्राइम मेरीडियन, भूमध्य रेखा (Equator) के साथ मिलकर पृथ्वी को चार गोलार्धों में बाँटती है।
- यह वैश्विक नौवहन, भूगोल, मौसम विज्ञान, और अंतरिक्ष अध्ययन में एक मुख्य संदर्भ रेखा के रूप में कार्य करता है।
निष्कर्षतः, प्राइम मेरीडियन एक ऐसी काल्पनिक रेखा है, जो वैश्विक समय और स्थिति निर्धारण की नींव रखती है। इसका निर्धारण ग्रीनविच से होना आधुनिक विज्ञान और तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
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