RAMKRISHNA MISSION

 

रामकृष्ण मिशन 

रामकृष्ण मिशन एक धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संगठन है, जिसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 को की थी। इस मिशन का उद्देश्य श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन और शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाना और "नारायण सेवा ही नर सेवा है" की भावना के साथ मानवता की सेवा करना है।

स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना श्री रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक शिक्षाओं से प्रेरित होकर की। श्री रामकृष्ण परमहंस अद्वैत वेदांत, भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग के समर्थक थे। उन्होंने सभी धर्मों को एक समान माना और "सर्व धर्म समभाव" की भावना को बढ़ावा दिया। विवेकानंद ने इन विचारों को मिशन के माध्यम से समाज में फैलाने का कार्य किया।

रामकृष्ण मिशन के दो प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं —

  1. आध्यात्मिक व धार्मिक जागरूकता
  2. सामाजिक सेवा

आध्यात्मिक क्षेत्र:

मिशन वेदांत, योग और भक्ति पर आधारित आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है। इसके अंतर्गत ध्यान, सत्संग, प्रवचन, धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करना, आश्रमों का संचालन और साधु जीवन को बढ़ावा देना शामिल है।

सामाजिक सेवा:

रामकृष्ण मिशन शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत कार्य, ग्रामीण विकास और गरीबों की सहायता जैसे अनेक सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय है। भारत और विदेशों में इसके स्कूल, कॉलेज, छात्रावास, अस्पताल, चिकित्सालय, वृद्धाश्रम, पुस्तकालय, और बाल गृह संचालित होते हैं। प्राकृतिक आपदा के समय मिशन राहत एवं पुनर्वास कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।

वैश्विक उपस्थिति:

रामकृष्ण मिशन केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे कई देशों में भी कार्यरत है। यह मिशन जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर सभी मानवों की सेवा को ही सच्ची पूजा मानता है।

आदर्श वाक्य:

रामकृष्ण मिशन का आदर्श वाक्य है:
"आत्मनो मोक्षार्थम् जगद्धिताय च",
अर्थात "स्वयं के मोक्ष और संसार के कल्याण के लिए।"

रामकृष्ण मिशन आज भी विश्व भर में आध्यात्मिक जागरूकता, शिक्षा, सेवा और मानव कल्याण के कार्यों में अग्रणी बना हुआ है। यह संगठन विवेकानंद के विचारों और रामकृष्ण परमहंस के आदर्शों को जीवंत रूप में समाज में प्रस्तुत करता है।

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