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RASHTRIYA SWATANTRA PARTY NEPAL

राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) नेपाल की एक तेजी से उभरती केंद्रीय (centrist) राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 1 जुलाई 2022 को राबी लामिछाने (Rabi Lamichhane) द्वारा की गई थी और इसे चुनाव आयोग में उसी तारीख को पंजीकृत किया गया। यह पार्टी पारंपरिक दलों के विपरीत नयापन, युवा ऊर्जा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अपनी पहचान बनाना चाहती है।  RSP का मुख्य लक्ष्य सबै नेपालीलाई समान अवसर, उदार आर्थिक नीतियाँ और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है। पार्टी का सिद्धांत “pluralistic democracy” यानी बहुलवादी लोकतंत्र पर आधारित है, जिसमें हर समुदाय और विचार को समान अधिकार मिलें और लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाया जाए।  स्थापना के तुरंत बाद RSP ने 2022 के संसदीय चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया और नेपाल की चौथी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरी। � इसके बाद पार्टी ने पारंपरिक बड़े दलों के खिलाफ एक वैकल्पिक राजनीतिक विकल्प के रूप में अपनी जगह बनाई है। पार्टी का चुनाव चिह्न “घंटी (bell)” है, जो इसे आम जनता के बीच पहचान देता है और “अब जान्नेलाई छान्ने” (Select the knowledgeable) जैसे न...

BALEN SHAH

🗞️ 1. नेपाल के पीएम उम्मीदवार बने बालेन शाह काठमांडू के मेयर बालेन शाह को मार्च 2026 के आम चुनाव के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया है।  यह नामांकन राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) के साथ गठबंधन के तहत हुआ है। 🤝 2. RSP के साथ बड़ा गठबंधन बालेन शाह और RSP ने सात‑बिंदु समझौता पर हस्ताक्षर किया है और साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। इसके तहत अगर RSP चुनाव जीतती है, तो बालेन शाह को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। 📈 3. युवा आंदोलन और जन समर्थन बालेन को Gen Z (युवा) आंदोलन का चेहरा माना जा रहा है — खासकर भ्रष्टाचार और पुरानी राजनीतिक व्यवस्थाओं के खिलाफ।  उनके समर्थन में बड़ी संख्या में युवा मतदाता आ रहे हैं, जो पारंपरिक दलों के खिलाफ बदलाव चाहते हैं।  🕌 4. धर्म को लेकर भ्रम मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा रही कि वे किस धर्म के हैं — हिन्दू या मुस्लिम — लेकिन यह बात कई जगह गलत ढंग से प्रचारित हुई।  📌 संक्षेप में ताज़ा स्थिति बालेन शाह अब केवल मेयर नहीं हैं — वे नेपाल में प्रधानमंत्री के संभावित चेहरा बन चुके हैं।  RSP के साथ गठबंधन ने उनकी भू...

WATERMAN RAJENDRA SINGH

 वाटरमैन राजेंद्र सिंह  राजेंद्र सिंह, जिन्हें “वाटरमैन ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख जल संरक्षण कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् हैं। उनका जन्म 6 अगस्त 1959 को राजस्थान के अलवर जिले में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन को पानी और जल संरक्षण के क्षेत्र में समर्पित कर दिया और सूखे तथा जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में स्थायी जल समाधानों की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए। राजेंद्र सिंह ने विशेष रूप से राजस्थान और उत्तर भारत के अन्य जिलों में पारंपरिक जल संचयन पद्धतियों को पुनर्जीवित किया। उन्होंने गाँवों में बांध, तालाब, नालियाँ और चश्मों का जीर्णोद्धार कर, भूजल स्तर बढ़ाने और सिंचाई की समस्या को हल करने में मदद की। उनकी इस पहल से हजारों गाँवों में पानी की समस्या कम हुई और खेती योग्य भूमि का विस्तार हुआ। उनकी संगठन, सहज ईको-फ्रेंडली सोसाइटी, ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन और स्वच्छता के लिए कई परियोजनाएँ चलायीं। राजेंद्र सिंह की रणनीति में स्थानीय समुदाय को शामिल करना प्रमुख था, ताकि जल संरक्षण का कार्य स्थायी और प्रभावशाली हो सके। उनके प्रयासों से लोगों में पा...

KHALIDA ZIA

खालिदा जिया का निधन बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख बेगम खालिदा जिया का आज 30 दिसंबर 2025 को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वे लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और अस्पताल में इलाज चल रहा था।     उनके पार्टी के बयान के अनुसार, खालिदा जिया ने आज सुबह लगभग 6 बजे अंतिम सांस ली। उनके स्वास्थ्य में लंबे समय से समस्या थी, जिसमें लीवर सिरोसिस, गठिया, मधुमेह व हृदय‑छाती की जटिलताएँ शामिल थीं, और वे नवंबर से अस्पताल में रह रही थीं।  राजनीतिक और क़ानूनी पृष्ठभूमि खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और BNP की अध्यक्ष भी थीं। उन्होंने देश की राजनीति में दशकों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने लंबे राजनीतिक करियर के दौरान कई संघर्ष देखे।  पिछले कुछ वर्षों में उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती चली गई थी। दिसंबर के आरंभ में उनके डॉक्टर ने उन्हें “अत्यंत गंभीर” बताया था और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।  राजनीतिक प्रभाव और उत्तराधिकार उनकी मौत बांग्लादेश की राजनीति में एक युग के अंत का प्रतीक मानी ज...

GUPT GODAVARI CHITRAKOOT

 गुप्त गोदावरी, चित्रकूट  गुप्त गोदावरी चित्रकूट का एक अत्यंत प्रसिद्ध, पवित्र और रहस्यमय तीर्थ स्थल है। यह स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा के पास, सतना ज़िले में स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक मान्यताओं के कारण गुप्त गोदावरी श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। गुप्त गोदावरी वास्तव में दो प्राकृतिक गुफाओं से मिलकर बनी है, जिनके भीतर जल की धारा निरंतर प्रवाहित होती रहती है। इन गुफाओं में एक संकीर्ण मार्ग है, जिसमें घुटनों तक पानी भरा रहता है। यह जल अत्यंत स्वच्छ और शीतल माना जाता है। बरसात के मौसम में यहाँ जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे गुफाओं का दृश्य और भी रोमांचक हो जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वनवास काल में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने कुछ समय तक इस स्थान पर विश्राम किया था। कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान राम ने गुप्त रूप से दरबार लगाया था, इसलिए इसे “गुप्त गोदावरी” कहा जाता है। गुफा के भीतर चट्टानों पर दो शिलाएँ हैं, जिन्हें राम और लक्ष्मण की चौकी या सिंहासन के रूप में पूजा जाता है। गुप्त गोदावरी ...

LAXMI TEMPLE JHANSI

 लक्ष्मी मंदिर, झांसी  लक्ष्मी मंदिर झांसी शहर का एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह मंदिर झांसी किले के समीप स्थित है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में धन, वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है। लक्ष्मी मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ माना जाता है। यद्यपि इसके निर्माण काल को लेकर अलग-अलग मत हैं, फिर भी यह मंदिर झांसी की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिर की वास्तुकला सरल होने के बावजूद आकर्षक है। इसमें पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली की झलक देखने को मिलती है। गर्भगृह में माता लक्ष्मी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है, जिसकी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। यह मंदिर विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर अत्यंत भव्य रूप धारण कर लेता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और मंदिर को दीपों व फूलों से सजाया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। नवरात्रि और अन्य धार्मिक ...

MANIKARNIKA GHAT

 मणिकर्णिका घाट  मणिकर्णिका घाट वाराणसी का सबसे प्राचीन, प्रसिद्ध और पवित्र घाट माना जाता है। यह घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है और हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार होने से आत्मा को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण इसे मोक्षदायिनी भूमि कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ तपस्या के समय अपने चक्र से एक कुंड का निर्माण किया था। इसी स्थान पर भगवान शिव की कान की मणि गिर गई थी, इसलिए इस घाट का नाम “मणिकर्णिका” पड़ा। यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव यहाँ मृत आत्माओं को तारक मंत्र का उपदेश देते हैं। मणिकर्णिका घाट का सबसे प्रमुख दृश्य यहाँ जलती चिताएँ हैं। दिन-रात यहाँ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चलती रहती है। यह दृश्य जीवन की नश्वरता और मृत्यु की सच्चाई का बोध कराता है। यहाँ अमीर-गरीब, जाति-धर्म का कोई भेद नहीं होता; सभी को समान रूप से अग्नि के हवाले किया जाता है। घाट के पास मणिकर्णिका कुंड स्थित है, जिसका धार्मिक महत्व अत्...