DIRECTOR RAW

 

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के निदेशक भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी के सर्वोच्च अधिकारी होते हैं। RAW की स्थापना वर्ष 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत की विदेशों में खुफिया क्षमताओं को मजबूत करना था। इसका गठन विशेष रूप से 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद बाहरी खतरों से निपटने के लिए किया गया।

RAW निदेशक आमतौर पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) या भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अत्यंत अनुभवी अधिकारियों में से चुने जाते हैं। नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है, और यह पद सीधे प्रधानमंत्री के अधीन होता है। उनका कार्यकाल सामान्यतः दो वर्ष का होता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

निदेशक RAW का मुख्य कार्य विदेशों से खुफिया जानकारी एकत्र करना, उनका विश्लेषण करना और उन्हें भारत की सुरक्षा नीति में शामिल करना होता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, जासूसी, सीमा पार की गतिविधियां, रणनीतिक सैन्य योजनाएं, साइबर सुरक्षा, और विदेशों में भारत के हितों की रक्षा से जुड़े विषय शामिल होते हैं।

RAW का नेटवर्क दुनिया के कई देशों में फैला होता है, और निदेशक इसके संचालन, गोपनीयता और रणनीतिक निर्णयों की जिम्मेदारी संभालते हैं। वे विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ करीबी समन्वय रखते हैं।

RAW निदेशक न केवल संभावित खतरों की पहचान करते हैं, बल्कि गुप्त अभियानों की योजना और क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी जिम्मेदारी में यह भी शामिल है कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और हित सुरक्षित रहें।

संक्षेप में, RAW निदेशक भारत की सीमाओं के बाहर खतरों से निपटने वाले अदृश्य योद्धा हैं, जो अपनी गोपनीय और रणनीतिक भूमिका से देश को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

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