CIC

 

केंद्रीय सूचना आयुक्त (Central Information Commissioner – CIC) भारत सरकार के केंद्रीय सूचना आयोग के प्रमुख होते हैं। यह आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act, 2005) के अंतर्गत गठित एक वैधानिक निकाय है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों के सूचना के अधिकार की रक्षा करना है।

केंद्रीय सूचना आयुक्त का काम यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को सरकारी विभागों, सार्वजनिक प्राधिकरणों और अन्य संबंधित संस्थाओं से समय पर और सही सूचना प्राप्त हो। जब कोई व्यक्ति सूचना पाने के लिए आरटीआई आवेदन देता है और विभाग से उसे संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता, तो वह मामला अपील के रूप में केंद्रीय सूचना आयोग के पास आ सकता है।

सीआईसी के पास यह अधिकार होता है कि वह संबंधित विभाग को आवश्यक सूचना देने का आदेश दे, जुर्माना लगाए और अधिकारियों को चेतावनी दे। आयोग यह भी देखता है कि सूचना का अधिकार अधिनियम का सही तरीके से पालन हो रहा है या नहीं।

केंद्रीय सूचना आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं। सीआईसी का कार्यकाल तीन वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, तक होता है।

सीआईसी न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि सरकारी कार्यप्रणाली में खुलेपन और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। यह संस्था स्वतंत्र रूप से काम करती है और इसके आदेश बाध्यकारी होते हैं।

संक्षेप में, केंद्रीय सूचना आयुक्त लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक पारदर्शिता प्रहरी है, जो जनता और सरकार के बीच भरोसा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

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