DM

 

डीएम (DM), जिसका पूरा नाम डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (District Magistrate) है, जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक और कार्यकारी अधिकारी होता है। यह पद आमतौर पर एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी द्वारा संभाला जाता है। डीएम को कई राज्यों में कलेक्टर भी कहा जाता है, लेकिन कलेक्टर की भूमिका मुख्यतः राजस्व प्रशासन से जुड़ी होती है, जबकि डीएम की भूमिका कानून-व्यवस्था और समग्र जिला प्रशासन पर केंद्रित होती है।

डीएम का मुख्य कार्य जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखना, सरकारी नीतियों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना, और विभिन्न विभागों के कार्यों में समन्वय स्थापित करना है। वह जिले में पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, आपूर्ति, कृषि और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों की निगरानी करता है।

कानून-व्यवस्था के संदर्भ में, डीएम के पास धारा 144 लागू करने, भीड़ नियंत्रण, दंगों को रोकने और आवश्यकतानुसार पुलिस बल तैनात करने का अधिकार होता है। राजस्व कार्यों में, वह भूमि अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और राजस्व वसूली की देखरेख करता है।

डीएम चुनावी प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाता है। वह जिले में चुनाव संबंधी सभी तैयारियों, मतदाता सूची के अद्यतन और मतदान के सुचारु संचालन की जिम्मेदारी निभाता है। आपात स्थितियों जैसे बाढ़, भूकंप, महामारी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं में, डीएम राहत एवं पुनर्वास कार्यों का नेतृत्व करता है।

डीएम सीधे राज्य सरकार को रिपोर्ट करता है और विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता है। वह जनता और सरकार के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है, जिससे स्थानीय समस्याओं का समाधान और विकास कार्यों का निष्पादन सुचारु रूप से हो सके।

इस प्रकार, डीएम जिले के प्रशासनिक, राजस्व और विधि-व्यवस्था से जुड़े सभी पहलुओं में केंद्रीय भूमिका निभाता है और जिले के संपूर्ण विकास और सुशासन का प्रमुख स्तंभ होता है।

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