MID DAY MEAL
मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी सामाजिक कल्याण योजना है, जिसकी शुरुआत 15 अगस्त 1995 को हुई थी। इस योजना का उद्देश्य स्कूल जाने वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बढ़ाना है। यह योजना प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए लागू है।
मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय निकायों द्वारा संचालित तथा शिक्षा गारंटी योजना के तहत चलने वाले विद्यालयों में बच्चों को दोपहर के समय निःशुल्क पका हुआ भोजन दिया जाता है। इसका मकसद है कुपोषण दूर करना, बच्चों की शारीरिक और मानसिक क्षमता का विकास करना और विद्यालय में उनकी उपस्थिति बढ़ाना।
इस योजना से कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं—
- विद्यालय में नामांकन और उपस्थिति में वृद्धि – गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा के लिए स्कूल आने लगे हैं।
- कुपोषण में कमी – बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार मिलने से उनकी सेहत में सुधार हुआ है।
- समानता की भावना – सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जिससे सामाजिक भेदभाव घटता है।
मध्याह्न भोजन योजना में स्थानीय स्तर पर खाद्यान्न की व्यवस्था की जाती है। भोजन में चावल, दाल, सब्जी, रोटी, दूध, अंडा आदि शामिल किए जाते हैं। कई राज्यों में मौसमी फल भी दिए जाते हैं। योजना की सफलता के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, रसोइयों और शिक्षकों का योगदान महत्वपूर्ण है।
इस योजना ने ग्रामीण और शहरी गरीब बच्चों में शिक्षा और पोषण दोनों को बढ़ावा दिया है। यह न केवल भोजन की जरूरत पूरी करती है, बल्कि शिक्षा को भी प्रोत्साहित करती है।
संक्षेप में, मध्याह्न भोजन योजना बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा को एक साथ सुदृढ़ करने वाली एक प्रभावी और जनहितैषी योजना है, जो भारत के भविष्य को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।
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