CVC

 

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (Central Vigilance Commissioner - CVC) भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख होते हैं। यह एक वैधानिक निकाय है, जिसे 1964 में सरकारी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने और प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया गया था।

सीवीसी का मुख्य कार्य सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकिंग संस्थानों और अन्य सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार की रोकथाम और जांच की निगरानी करना है। यह आयोग सीधे तौर पर किसी अपराध की जांच नहीं करता, बल्कि विभिन्न जांच एजेंसियों जैसे सीबीआई और विभागीय सतर्कता इकाइयों के कार्यों पर नज़र रखता है और उन्हें दिशा-निर्देश देता है।

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (या उनके द्वारा नामित न्यायाधीश) शामिल होते हैं। सीवीसी का कार्यकाल चार वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, तक होता है।

सीवीसी का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कार्यप्रणाली में ईमानदारी, निष्पक्षता और जवाबदेही बनी रहे। यह आयोग समय-समय पर सतर्कता संबंधी रिपोर्ट तैयार करता है और उन्हें संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है। आयोग विभागों को भ्रष्टाचार-रोधी उपाय, पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाएं और वित्तीय लेन-देन में सुधार के लिए सुझाव देता है।

सीवीसी के पास किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जांच की सिफारिश करने, सतर्कता जांच की समीक्षा करने और मामलों में आवश्यक कार्रवाई सुझाने का अधिकार होता है। यह संस्था स्वतंत्र रूप से कार्य करती है और इसकी सिफारिशों को गंभीरता से लिया जाता है।

संक्षेप में, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त का पद देश के लोक प्रशासन में स्वच्छता और नैतिकता बनाए रखने का प्रहरी है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न रहे।

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