NSA

 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) भारत सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पद है, जो देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा नीतियों के निर्माण और क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाता है। यह पद सीधे प्रधानमंत्री के अधीन होता है, और NSA प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, रक्षा रणनीति तथा खुफिया मामलों पर सलाह देता है।

भारत में NSA पद की स्थापना 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान की गई थी। इस पद का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं को एकीकृत दृष्टिकोण से देखना और विभिन्न मंत्रालयों, एजेंसियों तथा रक्षा बलों के बीच तालमेल स्थापित करना है।

NSA का प्रमुख दायित्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की बैठकों का संचालन और निगरानी करना होता है। वे रक्षा, विदेश नीति, खुफिया जानकारी, आतंकवाद-रोधी कदम, साइबर सुरक्षा, परमाणु नीति, और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मामलों पर प्रधानमंत्री को विस्तृत रिपोर्ट और सुझाव प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वे अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं और समझौतों में भारत का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।

NSA अक्सर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) या सेना के उच्च पदों से सेवानिवृत्त अधिकारियों में से चुने जाते हैं, जिनके पास रक्षा, विदेश नीति और खुफिया मामलों का गहरा अनुभव हो। उनका कार्यकाल तय नहीं होता, बल्कि प्रधानमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है।

NSA का दफ्तर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में होता है और वे सभी खुफिया एजेंसियों जैसे RAW, IB, NIA, DRDO आदि के साथ सीधे समन्वय में रहते हैं। वे संकट की स्थिति में त्वरित निर्णय लेने, सीमा सुरक्षा, और आतंकवाद-रोधी अभियानों में रणनीतिक मार्गदर्शन देते हैं।

संक्षेप में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत के सुरक्षा ढांचे के प्रमुख रणनीतिकार होते हैं, जो देश को हर प्रकार के सुरक्षा खतरों से बचाने और दीर्घकालिक सुरक्षा नीतियां बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

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