MAHARSHI VASHISHT

 

महर्षि वशिष्ठ 

महर्षि वशिष्ठ हिंदू धर्म के सप्तऋषियों में से एक हैं और उन्हें अत्यंत विद्वान, शांत और करुणामय ऋषि के रूप में जाना जाता है। वे वेदों, विशेषकर ऋग्वेद, के महान ऋषि और कई मंत्रों के रचयिता हैं। महर्षि वशिष्ठ का जीवन भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान की गहराई को दर्शाता है।

कथाओं के अनुसार, महर्षि वशिष्ठ भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। वे राजा दशरथ के राजगुरु और भगवान राम के गुरु थे। उन्होंने राम को धर्म, नीति और जीवन के मूल सिद्धांतों की शिक्षा दी। उनके आश्रम में अनेक शिष्यों ने ज्ञान प्राप्त किया, जिनमें कई प्रसिद्ध ऋषि भी शामिल थे।

महर्षि वशिष्ठ के पास कामधेनु नाम की दिव्य गाय थी, जो इच्छा अनुसार कोई भी वस्तु प्रदान कर सकती थी। इसी गाय के कारण उनका राजा विश्वामित्र से संघर्ष हुआ। परंतु वशिष्ठ ने अपनी तपशक्ति और धैर्य से यह सिद्ध किया कि आध्यात्मिक बल, सांसारिक बल से श्रेष्ठ होता है।

वशिष्ठ को योग वशिष्ठ ग्रंथ का रचयिता माना जाता है, जिसमें उन्होंने भगवान राम को आत्मज्ञान और जीवन के गूढ़ रहस्यों का उपदेश दिया। इस ग्रंथ में अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का सुंदर वर्णन मिलता है। उन्होंने सिखाया कि मनुष्य का दुख उसके मोह और अज्ञान से उत्पन्न होता है, और ज्ञान से ही मुक्ति संभव है।

महर्षि वशिष्ठ का जीवन शांति, सहनशीलता, और आत्मसंयम का प्रतीक है। उन्होंने सदैव धर्म, सत्य और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

इस प्रकार, महर्षि वशिष्ठ भारतीय अध्यात्म, शिक्षा और नैतिकता के आदर्श माने जाते हैं, जिनकी शिक्षाएँ आज भी मानव जीवन को दिशा प्रदान करती हैं।

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