MENKA

 

मेन्‍का 

मेन्‍का हिंदू पौराणिक कथाओं में स्वर्ग की सबसे प्रसिद्ध और सुंदर अप्सराओं में से एक हैं। उनका नाम सौंदर्य, कला और आकर्षण का पर्याय माना जाता है। मेनका का उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराणों में मिलता है। वे अपने अद्वितीय नृत्य, संगीत और सौंदर्य के लिए जानी जाती थीं।

कथाओं के अनुसार, मेनका को भगवान इंद्र ने ऋषि विश्वामित्र की कठोर तपस्या भंग करने के लिए पृथ्वी पर भेजा था। इंद्र को भय था कि यदि विश्वामित्र की तपस्या पूरी हो गई, तो वे देवताओं के समान शक्तिशाली बन जाएंगे। मेनका ने अपने सौंदर्य और नृत्य से ऋषि का मन मोहित कर दिया। दोनों ने कई वर्षों तक साथ जीवन व्यतीत किया और उनके यहाँ एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम शकुंतला रखा गया। बाद में मेनका उसे वन में छोड़कर स्वर्ग लौट गईं, जहाँ उसे ऋषि कण्व ने पाल-पोसकर बड़ा किया।

मेनका की यह कथा प्रेम, मोह और त्याग का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने एक ओर तो अपनी दिव्य मोहकता से देवताओं की आज्ञा का पालन किया, वहीं दूसरी ओर वे मातृत्व और संवेदना की प्रतीक भी बनीं। उनका जीवन यह सिखाता है कि सौंदर्य केवल बाहरी नहीं होता, बल्कि उसमें भावनाएँ और कर्तव्यबोध भी छिपे होते हैं।

मेनका भारतीय पौराणिक परंपरा में केवल एक अप्सरा नहीं, बल्कि नारी की विविध भूमिकाओं — प्रेमिका, माता और दायित्वनिष्ठ स्त्री — की प्रतिमूर्ति के रूप में मानी जाती हैं। उनका नाम आज भी सौंदर्य, कला और भावना के संतुलन का प्रतीक है।

इस प्रकार, मेनका की कथा भारतीय संस्कृति में सौंदर्य, प्रेम और धर्म के गहरे संबंध को उजागर करती है।

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