CUCKOO CLOCK



कुकू घड़ी (Cuckoo Clock)

कुकू घड़ी एक पारंपरिक दीवार घड़ी है जो हर घंटे एक पक्षी की “कुकू” आवाज़ निकालती है। यह घड़ी अपनी अनोखी बनावट और ध्वनि के लिए प्रसिद्ध है। कुकू घड़ी का आविष्कार 17वीं शताब्दी में जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट (Black Forest) क्षेत्र में हुआ था। इसे हाथ से लकड़ी पर नक़्क़ाशी करके बनाया जाता है और इसमें एक छोटा पक्षी होता है जो हर घंटे दरवाज़ा खोलकर बाहर आता है और “कुकू-कुकू” की आवाज़ करता है।

इस घड़ी का निर्माण पारंपरिक रूप से लकड़ी से किया जाता है, और उस पर ग्रामीण जीवन, जानवरों, फूलों, और घरों के दृश्य उकेरे जाते हैं। अधिकांश कुकू घड़ियों में लटकने वाली जंजीरें और वजन होते हैं जो समय को नियंत्रित करते हैं। कुछ घड़ियाँ संगीत भी बजाती हैं और छोटी-छोटी नाचती हुई मूर्तियाँ भी होती हैं, जो हर घंटे के साथ घूमती हैं।

कुकू घड़ी केवल समय बताने का यंत्र नहीं है, बल्कि यह एक कला का नमूना भी है। यह घर की शोभा बढ़ाती है और एक सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखती है। आज भी कई लोग इसे सजावटी वस्तु के रूप में खरीदते हैं, खासकर पर्यटक जो यूरोप के दौरे पर जाते हैं।

आज के डिजिटल युग में भले ही घड़ियाँ तकनीकी रूप से बहुत उन्नत हो गई हों, लेकिन कुकू घड़ी का आकर्षण आज भी बना हुआ है। इसकी “कुकू” आवाज़ बच्चों और बड़ों सभी को आनंद देती है। यह घड़ी समय के साथ-साथ संस्कृति, इतिहास और शिल्पकला की भी कहानी कहती है

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