TERRITORIAL SEA



आंचलिक समुद्र (Territorial Sea): समुद्री संप्रभुता की पहली सीमा

आंचलिक समुद्र (Territorial Sea) समुद्र का वह भाग है जो किसी तटीय देश की भूमि सीमा से लेकर 12 नॉटिकल मील (लगभग 22.2 किलोमीटर) तक फैला होता है। यह क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के अनुसार किसी देश की पूर्ण संप्रभुता के अंतर्गत आता है, जैसे कि उसका ज़मीन का हिस्सा हो।


आंचलिक समुद्र का अधिकार क्षेत्र

इस क्षेत्र में संबंधित देश को पूर्ण अधिकार प्राप्त होते हैं:

  • सुरक्षा
  • प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
  • मत्स्य पालन और पर्यावरण संरक्षण
  • सीमाशुल्क और आव्रजन नियंत्रण
  • जल, वायु और समुद्र तल सहित संपूर्ण नियंत्रण

हालाँकि, UNCLOS के अनुसार, अन्य देशों के जहाजों को "निर्दोष मार्ग अधिकार" (Innocent Passage) की अनुमति होती है — अर्थात वे इस क्षेत्र से गुजर सकते हैं बशर्ते कि वे शांति से, बिना किसी सैन्य या आपत्तिजनक गतिविधि के चलें।


महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ

  1. संप्रभुता का विस्तार:
    यह समुद्र में उस बिंदु तक एक देश की सीमाओं का विस्तार है जहाँ तक वह ज़मीन पर नियंत्रण रखता है।

  2. सामरिक महत्व:
    इस क्षेत्र में नौसेना और तटरक्षक बल की उपस्थिति देश की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

  3. प्राकृतिक संसाधन:
    इस क्षेत्र में मिलने वाली मछलियाँ, खनिज, और अन्य समुद्री संपत्तियाँ उस देश की मानी जाती हैं।

  4. कानूनी अधिकार:
    देश को अपने नियम-कानून लागू करने की पूरी स्वतंत्रता होती है, जैसे टैक्स, स्वास्थ्य, पर्यावरण या आप्रवासन संबंधी कानून।


आंचलिक समुद्र से आगे की सीमाएँ

  • Contiguous Zone (संपर्क क्षेत्र): आंचलिक समुद्र से बाहर 12 नॉटिकल मील तक
  • Exclusive Economic Zone (EEZ): तट से 200 नॉटिकल मील तक

इन क्षेत्रों में देश को सीमित अधिकार होते हैं, जबकि आंचलिक समुद्र में पूर्ण अधिकार होते हैं।


निष्कर्ष

आंचलिक समुद्र किसी तटीय राष्ट्र की समुद्री संप्रभुता का पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा, संसाधन नियंत्रण और कूटनीतिक अधिकारों की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत इसकी रक्षा और न्यायसंगत उपयोग विश्व शांति के लिए भी जरूरी है।



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