KHURASAN
खुरासान
खुरासान एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो आज के पूर्वोत्तर ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के कुछ भागों तक फैला हुआ था। यह नाम फारसी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है — "खुर" (सूर्य) और "आसान" (उदय), जिसका अर्थ है "सूर्योदय की भूमि"।
प्राचीन काल में खुरासान को ईरान का एक प्रमुख प्रांत माना जाता था। इस क्षेत्र में कई प्रसिद्ध नगर थे, जैसे –
- मशहद (आज भी ईरान का एक प्रमुख शहर)
- निशापुर
- हरात (अब अफगानिस्तान में)
- बल्ख
- तुश
खुरासान का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। यह क्षेत्र सासानी साम्राज्य, इस्लामी खिलाफ़त, ग़ज़नवी वंश, सल्जूक तुर्क, और बाद में मुग़ल साम्राज्य का भी हिस्सा रहा। इस क्षेत्र ने विज्ञान, दर्शन, साहित्य, और कला के क्षेत्र में विश्व को अनेक महान विद्वान और कवि दिए, जैसे –
- इमाम ग़ज़ाली
- अल-फराबी
- अल-बेरूनी
- उमर ख़य्याम
- फ़िरदौसी (शाहनामा के रचयिता)
आज के समय में खुरासान का अधिकांश भाग ईरान के "खुरासान रज़वी", "उत्तर खुरासान" और "दक्षिण खुरासान" प्रांतों में बाँटा गया है। मशहद इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है, जहाँ इमाम रज़ा की दरगाह स्थित है।
खुरासान आज भी अपने इतिहास, संस्कृति, सूफी परंपरा, और फारसी साहित्य के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र इस्लाम के फैलाव, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया की सभ्यताओं को जोड़ने वाला एक सेतु रहा है।
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