PERSIAN GULF



पारस की खाड़ी 

पारस की खाड़ी (Persian Gulf), जिसे हिंदी में "फारस की खाड़ी" या "ईरानी खाड़ी" भी कहा जाता है, पश्चिम एशिया में स्थित एक महत्वपूर्ण (water body) है। यह खाड़ी ईरान के दक्षिण में और अरब प्रायद्वीप के उत्तर में फैली हुई है। यह खाड़ी लगभग 990 किलोमीटर लंबी और 56 से 338 किलोमीटर चौड़ी है।

पारस की खाड़ी का इतिहास, भूगोल और राजनीति में अत्यंत महत्व है। इसका नाम "Persian Gulf" हजारों वर्षों से ऐतिहासिक रूप से प्रचलित है, लेकिन आधुनिक काल में कुछ अरब देश इसे "अरब की खाड़ी" (Arabian Gulf) कहने लगे हैं, जो एक राजनैतिक विवाद का विषय है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र और अधिकांश ऐतिहासिक दस्तावेज़ इसे "Persian Gulf" के नाम से ही स्वीकार करते हैं।

इस खाड़ी का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू है — तेल और गैस संसाधन। फारस की खाड़ी के आस-पास के देशों में विश्व के सबसे बड़े तेल भंडार पाए जाते हैं। ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, क़तर, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे देश इसके तटवर्ती राष्ट्र हैं।

यह खाड़ी होर्मुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) के माध्यम से अरब सागर और फिर हिंद महासागर से जुड़ती है। यह जलमार्ग वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्व के एक बड़े हिस्से का तेल यहीं से होकर गुजरता है।

पारस की खाड़ी, केवल भूगोलिक ही नहीं, बल्कि संस्कृति, व्यापार, पर्यावरण और सुरक्षा के लिहाज़ से भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह खाड़ी प्राचीन काल से ईरानी सभ्यता और समुद्री व्यापार की धुरी रही है।


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