PERSIAN LANGUAGE



फ़ारसी भाषा पर निबंध (लगभग 300 शब्द)

फ़ारसी भाषा (Farsi), जिसे "पर्शियन" भी कहा जाता है, एक प्राचीन और समृद्ध भाषा है जो मुख्य रूप से ईरान, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान में बोली जाती है। ईरान में इसे "फ़ारसी", अफगानिस्तान में "दरी", और ताजिकिस्तान में "ताजिक" कहा जाता है, हालाँकि इन तीनों का मूल व्याकरण और शब्दावली काफी हद तक समान है।

फ़ारसी भाषा की जड़ें ईरानी आर्य भाषाओं में हैं और इसका इतिहास लगभग 2500 वर्षों पुराना है। यह भाषा अवेस्ता, पहलवी, और बाद में विकसित होकर मध्यकालीन फारसी में बदल गई, जो आज की आधुनिक फारसी का आधार बनी। फ़ारसी लेखन अरबी लिपि (लेकिन संशोधित) में होता है, जिसमें 32 अक्षर होते हैं।

फ़ारसी भाषा को साहित्य और काव्य की दृष्टि से बहुत समृद्ध माना जाता है। प्रसिद्ध फारसी कवियों में रूमी, हाफ़िज़, सादी, उमर ख़य्याम, और फिरदौसी प्रमुख हैं। फिरदौसी की शाहनामा को फारसी का सबसे महान महाकाव्य माना जाता है।

भारत में भी फ़ारसी का ऐतिहासिक प्रभाव रहा है। मध्यकालीन भारत में, विशेषकर मुग़ल साम्राज्य के समय, फ़ारसी को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। अनेक भारतीय कवियों, विद्वानों और इतिहासकारों ने फ़ारसी में रचनाएँ कीं। आज भी भारत की कई पुरानी इमारतों और ताम्रपत्रों पर फारसी शिलालेख देखे जा सकते हैं।

हालाँकि आधुनिक समय में फ़ारसी का उपयोग कुछ क्षेत्रों में सीमित हो गया है, लेकिन यह भाषा अब भी ईरानी संस्कृति, इतिहास और पहचान का अभिन्न अंग है। यह भाषा शांति, प्रेम, दर्शन और सौंदर्य की अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध है।



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