MANDALAY
मांडले: म्यांमार की सांस्कृतिक राजधानी
मांडले म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यह देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है। यह शहर इरावदी नदी के किनारे बसा हुआ है और इतिहास, धर्म, कला और शिल्प का प्रमुख केंद्र है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मांडले की स्थापना 1857 में राजा मिंदोन द्वारा की गई थी। यह अंतिम शाही राजधानी थी, जब तक कि ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने 1885 में म्यांमार पर कब्ज़ा नहीं कर लिया। मांडले पैलेस (राजमहल) उस समय की वास्तुकला और शाही जीवनशैली का साक्षी है।
प्रमुख आकर्षण
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मांडले हिल: यह पहाड़ी स्थल धार्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इसकी चोटी से पूरा शहर और इरावदी नदी का दृश्य दिखाई देता है।
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महामुनी बुद्ध मंदिर: यह मांडले का सबसे पूज्यनीय बौद्ध स्थल है। यहाँ की विशाल बुद्ध प्रतिमा पर भक्त प्रतिदिन सोने की परत चढ़ाते हैं।
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श्वेनांडॉ मठ (Shwenandaw Monastery): यह सुंदर लकड़ी से बना मठ शाही महल का हिस्सा था और आज इसकी नक्काशी और वास्तुकला पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है।
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उ बैन ब्रिज (U Bein Bridge): यह दुनिया का सबसे लंबा और सबसे पुराना टीक लकड़ी का पुल है, जो अमरपुरा झील पर बना है और सूर्यास्त के समय बेहद सुंदर दिखाई देता है।
सांस्कृतिक महत्त्व
मांडले पारंपरिक बर्मा संगीत, नृत्य, कठपुतली कला और शिल्प जैसे सोने के पत्ते, संगमरमर की मूर्तियाँ और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर म्यांमार की संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है।
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